Bihar Election Result: चिराग पासवान का बढ़ता कद और CM पद पर नजर, क्या मोदी के हनुमान लेंगे Nitish Kumar की जगह?

बिहार चुनाव 2025 में चिराग पासवान NDA के तीसरे बड़े हीरो बनकर उभरे हैं। LJP (रामविलास) ने 29 में से 19 सीटें जीतकर NDA को 200 पार पहुँचाया। 'सब्जी में नमक' से दलित राजनीति के वारिस बने चिराग ने चाचा पारस का दावा खत्म किया। 42 वर्षीय चिराग की नजरें 2030 में CM की कुर्सी पर हैं।

Aanchal Singh
Bihar Election Result
चिराग ने कैसे पलटा खेल ?

Bihar Election Result: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शानदार नतीजों के बाद, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान का राजनीतिक कद और भी ऊंचा हो गया है। कभी खुद को ‘सब्जी में नमक’ (महत्वहीन) बताने वाले चिराग आज बिहार में NDA के तीसरे सबसे बड़े नायक बनकर उभरे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने लड़ी गई 29 सीटों में से 19 पर जीत हासिल करके, राज्य की राजनीति में एक बार फिर अपनी क्षमता और प्रभाव को सिद्ध किया है।

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NDA की जीत में चिराग पासवान का महत्वपूर्ण योगदान

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NDA की जीत में चिराग पासवान का महत्वपूर्ण योगदान

बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी का ही जबरदस्त प्रदर्शन है कि नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) ने बिहार में 200 सीटों का आंकड़ा पार कर लिया है। उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी के भीतर शुरुआती असंतोष की अटकलों के बावजूद, चिराग की पार्टी ने महागठबंधन से 17 महत्वपूर्ण सीटें छीनकर अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रमाण दिया है। यह जीत न केवल सीटों की संख्या में बड़ी है, बल्कि महागठबंधन के वोटबैंक में सेंधमारी की उनकी क्षमता को भी दर्शाती है।

चिराग का उदय और सौदेबाजी की ताकत

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चिराग का उदय और सौदेबाजी की ताकत

आपको बता दे कि, बिहार की राजनीति में चिराग पासवान का उदय और उनकी बढ़ती स्वीकार्यता उस समय ही स्पष्ट हो गई थी, जब 2020 के विधानसभा चुनावों में अपेक्षित प्रदर्शन न होने के बावजूद उन्हें गठबंधन में उचित हिस्सा मिला था। उनकी सीटों के लिए सौदेबाजी की ताकत का असली आधार 2024 के लोकसभा चुनावों के नतीजों से आया, जब उनकी पार्टी ने लड़ी हुई सभी पाँच सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी। इस जीत ने उन्हें बिहार की राजनीति में एक अपरिहार्य सहयोगी के रूप में स्थापित कर दिया।

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दलित राजनीति का उभरता चेहरा

मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जब मायावती और जीतन राम मांझी जैसे अन्य प्रमुख दलित नेता अपने राजनीतिक जीवन की ढलान पर हैं, ऐसे में 42 वर्षीय चिराग पासवान एक प्रमुख और ऊर्जावान युवा चेहरा बनकर उभरे हैं। उनकी इस ताज़ा जीत ने उनके चाचा पशुपति कुमार पारस द्वारा रामविलास पासवान की विरासत पर किए जा रहे दावों को भी लगभग समाप्त कर दिया है। चिराग अब दिवंगत पिता की राजनीतिक विरासत के निर्विवाद वारिस माने जा रहे हैं।

बॉलीवुड से संसद तक का सफर

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बॉलीवुड से संसद तक का सफर

राजनीति में आने से पहले, चिराग पासवान ने 2011 में ‘मिले ना मिले हम’ फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखा था। इसके बाद, 2014 में उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान को NDA गठबंधन में शामिल होने के लिए सफलतापूर्वक राजी किया। उसी वर्ष, 2014 के लोकसभा चुनाव में वह जमुई से सांसद चुने गए। 2019 के चुनाव में भी उन्होंने जमुई से जीत हासिल की, और 2024 में अपने पिता के पारंपरिक गढ़ हाजीपुर से चुनाव लड़कर केंद्रीय मंत्री बने। 42 वर्षीय चिराग पासवान 2030 में होने वाले अगले बिहार चुनाव में किंगमेकर या उससे भी बड़ी भूमिका में नज़र आ सकते हैं।

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