Vote Chori Campaign: देश में मतदाता अधिकारों की रक्षा को लेकर कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। 15 सितंबर से कांग्रेस ने ‘वोट चोरी’ के खिलाफ एक देशव्यापी हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत कर दी है, जो 15 अक्टूबर तक चलेगा। इस अभियान के तहत पार्टी ने 20 करोड़ नागरिकों से हस्ताक्षर जुटाने का लक्ष्य रखा है, जिसे अब तक का सबसे बड़ा जनसंपर्क अभियान बताया जा रहा है।
लोकतंत्र पर खतरा: कांग्रेस का आरोप
कांग्रेस का दावा है कि देश में वोट चोरी के जरिए लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है:लाखों असली मतदाताओं के नाम सूची से गायब हैं। बड़ी संख्या में डुप्लिकेट प्रविष्टियां पाई गई हैं। खास समुदायों को टारगेट कर मतदाता दमन किया जा रहा है। मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। आम लोगों की राजनीतिक आवाज को दबाया जा रहा है।
राहुल गांधी की मुहिम को जन आंदोलन में बदलने की कोशिश
यह अभियान राहुल गांधी की पहल पर शुरू किया गया है। कांग्रेस ने इसे सिर्फ एक विरोध नहीं बल्कि “लोकतंत्र बचाओ आंदोलन” बताया है। राहुल गांधी पहले ही ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए देश के 20 जिलों में 16 दिनों तक भ्रमण कर चुके हैं। इस यात्रा की शुरुआत 17 अगस्त को सासाराम (बिहार) से हुई थी और 1 सितंबर को पटना में एक विशाल रैली के साथ इसका समापन हुआ।
चुनाव आयोग से कांग्रेस की पांच प्रमुख मांगें
इस अभियान के ज़रिए कांग्रेस पार्टी भारत निर्वाचन आयोग (ECI) से निम्नलिखित पांच मांगें कर रही है: फोटो सहित मशीन-पठनीय मतदाता सूचियों को लागू किया जाए।हटाए/जोड़े गए नामों की सूचियां सार्वजनिक की जाएं।शिकायत निवारण प्रणाली को सशक्त बनाया जाए।मतदाता नामों में बदलाव के लिए अग्रिम समय-सीमा तय की जाए।मतदाता दमन के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
SIR प्रक्रिया पर कांग्रेस का हमला
कांग्रेस का मानना है कि हाल ही में कई राज्यों में शुरू हुई SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाए जा रहे हैं, जो सीधे तौर पर वोट चोरी को बढ़ावा देता है। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 65 लाख नामों की प्रारंभिक सूची पर रोक लगाने की मांग की है।
राजनीतिक लड़ाई के लिए कांग्रेस तैयार
कांग्रेस इस मुद्दे को केवल चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई बता रही है। पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों और प्रमुख नेताओं को ज़मीनी स्तर पर अभियान में भाग लेने का निर्देश दिया गया है। प्रदेश से लेकर जिला और ब्लॉक स्तर तक सैकड़ों कैंप लगाकर हस्ताक्षर जुटाए जाएंगे।
कांग्रेस का यह हस्ताक्षर अभियान न केवल वोट चोरी के खिलाफ जन-जागरूकता की पहल है, बल्कि 2024 के आम चुनावों से पहले विपक्ष की रणनीतिक सशक्तता का संकेत भी है। अब देखना होगा कि भारत निर्वाचन आयोग इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को लेकर क्या फैसला आता है।
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