Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा राजनीतिक अपडेट सामने आया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से लगभग 89 लाख लोगों के नाम हटाने के लिए चुनाव आयोग को आवेदन दिया है। बिहार में 1 अगस्त को जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में संशोधन कराने की आखिरी तारीख 31 अगस्त थी। इस तिथि के बाद किसी भी प्रकार के संशोधन के लिए आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
ड्राफ्ट लिस्ट संशोधन की प्रक्रिया पूरी होने को
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि बिहार की मतदाता सूची में संशोधन के लिए जो आवेदन आए थे, उनकी जांच प्रक्रिया जारी है। लेकिन अब संशोधन का मौका खत्म हो चुका है। इस वजह से अब आगे कोई नया आवेदन नहीं लिया जाएगा। यह कदम चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक माना जा रहा है।
कांग्रेस के जिला अध्यक्षों ने जताई आपत्तियां
चुनाव आयोग ने बताया कि पिछले 1-2 दिनों में बिहार के विभिन्न जिलों में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र भेजकर मतदाता सूची से नाम हटाने की आपत्तियां दर्ज कराई हैं। यह कदम कांग्रेस की ओर से चुनावी तैयारी के तहत उठाया गया माना जा रहा है।
चुनाव आयोग की कार्रवाई जारी
हालांकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस के जिला अध्यक्षों द्वारा दी गई आपत्तियां निर्धारित प्रपत्र के अनुरूप नहीं हैं। इसके बावजूद जिला निर्वाचन अधिकारी इन आपत्तियों को उचित कार्रवाई के लिए संबंधित निर्वाचक निबंधन अधिकारियों को भेज रहे हैं ताकि मामलों की जांच हो सके और आवश्यक कार्रवाई हो सके।
मतदाता सूची में संशोधन का महत्व
मतदाता सूची की शुद्धता चुनाव के निष्पक्ष संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में गलत नाम या दोगुना नाम चुनाव की निष्पक्षता पर असर डाल सकता है। ऐसे में कांग्रेस का यह कदम चुनाव आयोग के समक्ष मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है कदम
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में इस तरह के बड़े संशोधन आवेदन, राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीति का भी हिस्सा हो सकते हैं। इसका उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में अपनी स्थिति मजबूत करना और प्रतिद्वंद्वी दलों के प्रभाव को कम करना हो सकता है।
चुनाव आयोग की सख्ती और निष्पक्षता
चुनाव आयोग द्वारा आपत्तियों के सत्यापन और आवेदन प्रक्रिया को निर्धारित नियमों के अनुसार नियंत्रित करना चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखने की दिशा में एक जरूरी कदम है। आयोग ने इस बार भी साफ संकेत दिया है कि नियमों के उल्लंघन की कोई जगह नहीं होगी।
बिहार चुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस द्वारा 89 लाख नाम हटाने के लिए आवेदन और चुनाव आयोग की तत्परता इस बात को दर्शाती है कि चुनाव आयोग चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए कड़ी निगरानी रख रहा है। आगे चुनाव के दौरान और मतदाता सूची को लेकर क्या नया होगा, यह देखने वाली बात होगी।

