Sabarimala Gold Theft Case: केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर से जुड़ा गोल्ड चोरी मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है। इस मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (TDB) के पूर्व तिरुवाभरणम कमिश्नर के.एस. बैजू को गिरफ्तार कर लिया है। बैजू मंदिर की कीमती वस्तुओं के आधिकारिक संरक्षक रहे हैं। कोर्ट ने उन्हें 21 नवंबर तक रिमांड पर भेज दिया है।
जांच एजेंसियों का दावा है कि बैजू के कार्यकाल में एक सुनियोजित साजिश रची गई, जिसके तहत मंदिर की द्वारपालक मूर्तियों और श्रीकोविल कट्टिला पैनल की सोने की परत वाली चादरों को दस्तावेज़ों में तांबे की चादरें दिखाकर हेराफेरी की गई। इसी झूठे रिकॉर्ड का फायदा उठाकर मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी ने असली सोने को बदलकर बाहर तस्करी से भेज दिया।
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जानबूझकर की गई लापरवाही

SIT की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि बैजू ने हैंडओवर ऑर्डर पर हस्ताक्षर नहीं किए और जब मंदिर से सोने की वस्तुएं हटाई गईं, तब वह मौके पर मौजूद नहीं थे। जांच एजेंसियों को शक है कि यह सब जानबूझकर किया गया ताकि किसी को संदेह न हो। हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त स्पेशल कमिश्नर तक भी यह अनियमितताएं नहीं पहुंच सकीं, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
इस केस में दो अन्य पूर्व अधिकारी मुरारी बाबू और सुधीश कुमार भी SIT की हिरासत में हैं। इसके अलावा, पूर्व TDB अध्यक्ष एन. वासु से भी जल्द पूछताछ की जा सकती है। हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद जांच प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
तीर्थयात्रा सीजन से पहले राजनीतिक हलचल
सबरीमाला गोल्ड चोरी मामला अब सिर्फ एक आपराधिक जांच नहीं रह गया है, बल्कि यह केरल की राजनीति में भूचाल ला रहा है। बीजेपी ने मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा को लेकर एक करोड़ सिग्नेचर कैंपेन शुरू किया है और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। वहीं कांग्रेस ने 12 नवंबर को “सेक्रेटेरिएट मार्च” की घोषणा की है, जिसमें सरकार पर TDB में भ्रष्टाचार छिपाने के आरोप लगाए जाएंगे।
CPI(M) ने भी त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के पुनर्गठन की सिफारिश की है, जिससे यह मुद्दा और संवेदनशील बन गया है। स्थानीय निकाय चुनावों से पहले यह विवाद राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।
मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा पर सवाल
इस मामले ने मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। SIT के अनुसार, दस्तावेज़ों में हेराफेरी कर सोने की वस्तुओं को तांबे के रूप में दर्ज किया गया, जिससे चोरी को अंजाम देना आसान हो गया। अब जब कई अधिकारी जांच के घेरे में हैं, तो यह देखना होगा कि असली गुनहगार कौन है और मंदिर की संपत्ति को कैसे सुरक्षित किया जाएगा।
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