COP30: ब्राज़ील के बेलेम शहर में आयोजित COP30 जलवायु शिखर सम्मेलन में भारत ने ब्राज़ील को आगामी अध्यक्षता के लिए अपना “मजबूत समर्थन” दिया। भारत ने कहा कि ब्राज़ील का नेतृत्व वैश्विक जलवायु कार्रवाई को अधिक समावेशी, न्यायसंगत और विकासशील देशों के अनुकूल बनाएगा। हालांकि भारत ने लिए गए निर्णयों का स्वागत किया, उसने स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अभी बहुत काम बाकी है और COP30 को निर्णायक सफलता नहीं कहा जा सकता।
COP30: विकासशील देशों के लिए वित्तीय सहायता पर सहमति
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा सम्मेलन (UNFCCC) के समापन सत्र में भारत का उच्च-स्तरीय बयान दिया। दो सप्ताह चली इन वार्ताओं का समापन विकासशील देशों को अत्यधिक मौसमीय घटनाओं से निपटने के लिए अधिक वित्तीय सहायता देने के वादे के साथ हुआ। हालांकि, जीवाश्म ईंधन के चरणबद्ध उन्मूलन पर कोई ठोस रोडमैप सामने नहीं आ सका। भारत ने COP30 अध्यक्ष आंद्रे कोर्रिया दो लागो के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि ‘ग्लोबल गोल ऑन एडाप्टेशन’ (GGA) में हुई प्रगति विकासशील देशों की अनुकूलन जरूरतों को मजबूती देती है।
COP30: पेरिस समझौते के वित्तीय दायित्वों पर ध्यान की मांग
भारत ने विकसित देशों को याद दिलाया कि पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9.1 के तहत जलवायु वित्त उपलब्ध कराना उनकी जिम्मेदारी है, जिसे वर्षों से टाला जाता रहा है। भारत ने उम्मीद जताई कि 1992 में रियो में किए गए वादों को 33 साल बाद बेलेम में उठाए गए कदमों से पूरा किया जा सकेगा। ‘न्यायसंगत परिवर्तन’ (Just Transition) तंत्र की स्थापना को भारत ने वैश्विक स्तर पर समानता और जलवायु न्याय लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।
व्यापार-आधारित जलवायु उपायों पर भारत की आपत्ति
भारत ने अध्यक्षता का आभार जताया कि COP30 में एकतरफा व्यापारिक जलवायु उपायों—जैसे EU का कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज़्म (CBAM)—पर चर्चा का अवसर मिला। भारत ने स्पष्ट किया कि ऐसे उपाय पेरिस समझौते के “सामान्य लेकिन भिन्न उत्तरदायित्व और संबंधित क्षमताओं” (CBDR-RC) के सिद्धांत के विपरीत हैं। भारत ने कहा कि विकासशील देशों पर इस तरह के बोझ डालना न्यायसंगत नहीं है और इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
ग्लोबल साउथ को अतिरिक्त बोझ से बचाने की अपील
भारत ने दोहराया कि ग्लोबल साउथ—यानी वे देश जो जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे कम जिम्मेदार हैं—पर उत्सर्जन कम करने का अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहिए। इन देशों की आबादी जलवायु संकट से सबसे अधिक प्रभावित है और इन्हें वैश्विक समर्थन की कड़ी आवश्यकता है। भारत ने वैज्ञानिक, न्यायसंगत और समावेशी जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई तथा ब्राज़ील समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर निष्पक्ष और टिकाऊ भविष्य के निर्माण का संकल्प जताया।
कॉनफ़्रेंस में 194 देशों की भागीदारी
बेलेम में 10 से 21 नवंबर तक आयोजित COP30 में 194 देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मेलन के दौरान 20 नवंबर को मुख्य स्थल पर आग लगने की घटना भी हुई, जिसमें 27 लोग घायल हो गए। हालांकि, घटना पर काबू पाने के बाद वार्ता बिना बाधा जारी रही।भारत का संदेश स्पष्ट था जलवायु कार्रवाई में न्याय, समानता और विकासशील देशों की प्राथमिकताओं को केंद्र में रखना आवश्यक है। COP30 ने इस दिशा में कुछ सकारात्मक कदम जरूर उठाए, लेकिन ठोस और निर्णायक प्रगति के लिए वैश्विक नेतृत्व को और बड़े कदम उठाने होंगे।
