COVID 19 Vaccine : भारत में कोविड-19 वैक्सीन को लेकर फैल रही आशंकाओं और अफवाहों के बीच AIIMS और ICMR ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसमें साफ किया गया है कि कोरोना वैक्सीनेशन का युवाओं में हो रही अचानक मौतों से कोई संबंध नहीं है। यह रिपोर्ट उन सभी अफवाहों और सोशल मीडिया पर फैल रही गलत सूचनाओं को गलत साबित करती है, जिनमें वैक्सीन को घातक स्थितियों से जोड़ने की कोशिश की जा रही थी।
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वैक्सीन की सुरक्षा की गारंटी

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस रिपोर्ट के आधार पर दो टूक कहा है कि भारत में दी गई कोविड वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और इसके कारण किसी भी तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्या या मौत की पुष्टि नहीं हुई है। मंत्रालय ने लोगों से अपील कर कहा है कि वे सोशल मीडिया या बिना पुष्टि के किसी भी स्रोत की बातों पर विश्वास न करें।
गहन जांच से मिले प्रमाण
AIIMS और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा की गई विस्तृत जांच में पाया गया है कि वैक्सीन लेने के बाद होने वाली किसी भी मौत को सीधे तौर पर वैक्सीनेशन से जोड़ना वैज्ञानिक रूप से गलत है। इस जांच में युवाओं की अचानक मौत के दर्जनों मामलों की जांच की गई है, जिसमें किसी भी केस में वैक्सीन को मौत का कारण नहीं माना गया है।
साइड इफेक्ट्स बेहद मामूली
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में उपयोग होने वाली सभी कोविड वैक्सीन न केवल प्रभावी हैं, बल्कि उनके साइड इफेक्ट्स भी बहुत कम है। कुछ सामान्य लक्षण जैसे बुखार, थकान, हल्का दर्द या सूजन आम हैं। लेकिन गंभीर दुष्प्रभावों की संख्या बहुत ही कम है और वे किसी भी अन्य टीकाकरण की तरह सामान्य है।
वैक्सीन को दोष देना गलत
वैज्ञानिकों ने इस बात पर जोर दिया है कि कोरोना वैक्सीन को अचानक हो रही मौतों से जोड़ना न केवल गलत है, बल्कि यह समाज में भय फैलाने वाला कार्य है। उन्होंने बताया कि अधिकतर मामलों में मौतें पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं, जीवनशैली या अन्य जैविक कारणों के चलते हुई हैं।
अफवाहों से बचें, वैज्ञानिक तथ्यों पर करें भरोसा
सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जनता से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों से मिली जानकारी पर भरोसा करें और किसी भी अफवाह या भ्रमित करने वाली खबरों से दूर रहें। वैक्सीनेशन ने लाखों लोगों की जान बचाई है और यह महामारी को रोकने में एक प्रभावशाली हथियार भी साबित हुई है।


