CP Radhakrishnan Oath Ceremony: देश को आज उसका नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। राजधानी दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक गरिमामय समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें शपथ दिलाई।इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपप्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, विपक्षी दलों के नेता और कई अन्य गणमान्य अतिथि भी मौजूद रहे। सीपी राधाकृष्णन की यह नियुक्ति, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद हुई है, जिन्होंने 21 जुलाई को पद से त्यागपत्र दिया था।
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उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार की बड़ी जीत
उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन ने संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को बड़े अंतर से हराया। यह चुनाव मंगलवार को हुआ था।चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, 781 सांसदों में से 767 ने मतदान किया, जिससे 98.2% मतदान दर्ज किया गया। एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को 452 वोट प्राप्त हुए, जबकि विपक्षी उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 मत मिले। इस तरह राधाकृष्णन ने 152 वोटों के भारी अंतर से विजय प्राप्त की।
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राजनीतिक और सामाजिक जीवन में लंबा अनुभव
सीपी राधाकृष्णन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में लंबे अनुभव के लिए जाना जाता है। वे पहले तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और पार्टी संगठन को मजबूत करने में उनकी भूमिका सराहनीय रही है।उपराष्ट्रपति पद पर आने से पहले वह महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद पर कार्यरत थे। शपथ से एक दिन पूर्व उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई, जताया विश्वास
सीपी राधाकृष्णन की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और विश्वास जताया कि वे देश के संविधानिक मूल्यों को सशक्त बनाएंगे और संसद में सकारात्मक संवाद को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन का अनुभव और नेतृत्व आने वाले समय में देश के लिए उपयोगी साबित होगा।
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नए उपराष्ट्रपति से देश को बड़ी उम्मीदें
सीपी राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण के साथ ही अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह अपने कार्यकाल में राज्यसभा के सभापति के रूप में कैसे संतुलन बनाए रखते हैं और किस प्रकार से संसदीय कार्यवाही को प्रभावी एवं गरिमामयी बनाने की दिशा में कदम उठाते हैं।
