Crime Against Dalit Women In MP: मध्य प्रदेश विधानसभा में हाल ही में सामने आए आंकड़ों ने राज्य में दलित और आदिवासी (SC/ST) महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। साल 2022 से 2024 के बीच अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय की महिलाओं के खिलाफ 44,978 अपराध दर्ज किए गए। यह आंकड़ा दर्शाता है कि हर दिन औसतन 41 अपराध इन समुदायों की महिलाओं के खिलाफ हो रहे हैं।
बलात्कार के मामले

विधानसभा में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि बीते तीन सालों में कुल 7,418 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। इसका मतलब है कि हर दिन औसतन 7 दलित या आदिवासी महिलाएं यौन हिंसा का शिकार हो रही हैं। इनमें से 338 मामलों में सामूहिक बलात्कार की पुष्टि भी की गई है।
घर में भी नहीं सुरक्षित महिलाएं
सिर्फ सड़कों या सार्वजनिक स्थानों पर ही नहीं, बल्कि अपने घरों में भी SC/ST महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है। साल 2022 से 2024 के बीच घरेलू हिंसा के 1,906 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी हर दिन करीब 2 महिलाएं अपने ही घर में हिंसा का शिकार हो रही हैं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि सामाजिक व्यवस्था में गहरे स्तर पर बदलाव करने की जरूरत है।
हर दिन 5 से ज्यादा छेड़छाड़ के मामलें
उसी अवधि में छेड़छाड़ से जुड़े कुल 5,983 मामले दर्ज किए गए, जो दर्शाता है कि हर दिन औसतन 5 महिलाएं सार्वजनिक या निजी स्थानों पर यौन उत्पीड़न का शिकार बन रही हैं। यह आंकड़ा महिलाओं की सामाजिक स्थिति और कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।
हत्या के मामलों में भी इजाफा
सबसे भयावह बात यह है कि तीन सालों में 558 दलित और आदिवासी महिलाओं की हत्या कर दी गई। यह साबित करता है कि केवल यौन हिंसा ही नहीं, बल्कि उनके जीवन का मूल्य भी समाज के एक बड़े हिस्से के लिए महत्वहीन बना हुआ है।
क्या संख्या ही बन रही है हिंसा का कारण?
मध्य प्रदेश की जनसंख्या का लगभग 38% हिस्सा अनुसूचित जाति (16%) और जनजाति (22%) समुदाय से आता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जनसंख्या अनुपात ही इन समुदायों की महिलाओं को अपराधियों का आसान निशाना बना रहा है?