CRPF ASI Moti Ram Jat: भारत की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। केंद्रीय जांच एजेंसियों ने एक पाकिस्तानी जासूस के संपर्क में रहे 15 भारतीय अधिकारियों की पहचान की है। इन अधिकारियों में सेना, पैरामिलिट्री बलों और सरकारी विभागों के कर्मचारी शामिल हैं। यह खुलासा CRPF के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) मोती राम जाट की गिरफ्तारी के बाद हुई जांच में हुआ है।
मोती राम जाट को 27 मई 2025 को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार किया था। वह पहले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में तैनात था और 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले से कुछ दिन पहले ही दिल्ली में तैनात हुए थे। जांच एजेंसियों ने टेक्निकल सर्विलांस के माध्यम से यह जानकारी जुटाई कि मोती राम जाट के अलावा 15 अन्य नंबर भी एक पाकिस्तानी ऑपरेटिव के संपर्क में थे, जिसका कोड नेम “सलीम अहमद” बताया गया है।
रिकॉर्ड्स खंगाल रही जांच एजेंसियां

जब इन 15 नंबरों की कॉल रिकॉर्ड और इंटरनेट प्रोटोकॉल डिटेल्स की जांच की गई, तो सामने आया कि चार नंबर भारतीय सेना के जवानों, चार पैरामिलिट्री फोर्स से जुड़े हैं और बाकी सात नंबर विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों के हैं। सुरक्षा एजेंसियां अब इन सभी संदिग्ध नंबरों की डिटेल जांच और रिकॉर्ड स्कैनिंग कर रही हैं।
जांच में यह भी सामने आया कि जिस मोबाइल नंबर से मोती राम जाट पाकिस्तानी ऑपरेटिव से संपर्क में था, वह कोलकाता से खरीदा गया था, और सिम कार्ड के एक्टिवेशन के लिए OTP लाहौर भेजा गया था। सिम खरीदने वाला व्यक्ति कोलकाता का निवासी है जिसने 2007 में एक पाकिस्तानी महिला से शादी की थी, और 2014 में पाकिस्तान शिफ्ट हो गया था। वह हर साल दो बार भारत आता था।
जानकारी के बदले मिली मोटी रकम
सूत्रों ने बताया कि मोती राम जाट को खुफिया जानकारियां भेजने के बदले लगातार पैसे मिलते रहे। दो सालों में उसे 12,000 रुपये प्रति माह विभिन्न शहरों से भेजे गए, जिनमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, असम, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। ये रकम सीधे उसके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की जाती थी।
फेक पत्रकार से दोस्ती
मोती राम जाट ने पूछताछ में बताया कि पहले उसकी पहचान एक महिला से हुई जो खुद को चंडीगढ़ के एक टीवी चैनल की पत्रकार बताती थी। दोनों के बीच फोन और वीडियो कॉल पर लंबी बातचीत होती रही। इस दौरान उसने कई दस्तावेज शेयर किए। धीरे-धीरे यह बातचीत एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी से संपर्क में बदल गई। उसने पाकिस्तानी हैंडलर को सुरक्षा बलों की तैनाती, जवानों की मूवमेंट और एजेंसियों के सेंटर से जुड़ी जानकारियां दीं।

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