Europe Cyberattack: यूरोप के तीन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स लंदन का हीथ्रो, जर्मनी का बर्लिन और बेल्जियम का ब्रसेल्स शनिवार को बड़े साइबर अटैक का शिकार हुए। इस साइबर हमले के चलते इन एयरपोर्ट्स के चेक-इन और बोर्डिंग सिस्टम पूरी तरह ठप हो गए, जिससे सैकड़ों यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा और कई उड़ानों में देरी हुई या उन्हें रद्द करना पड़ा।
कॉलिन्स एयरोस्पेस पर साइबर अटैक
जानकारी के मुताबिक, यह साइबर हमला एयरपोर्ट सर्विस प्रोवाइडर Collins Aerospace के सिस्टम पर किया गया, जो इन तीनों एयरपोर्ट्स को चेक-इन और बोर्डिंग सेवाएं उपलब्ध कराता है। Collins Aerospace की पैरेंट कंपनी RTX ने पुष्टि की है कि उनके सिस्टम को हैक किया गया है और तकनीकी टीम इसे जल्द सामान्य करने की कोशिश कर रही है।
ब्रसेल्स एयरपोर्ट अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार रात को सिस्टम हैक होने के बाद से मैन्युअल चेक-इन प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिससे पूरे शेड्यूल पर असर पड़ा है।
कितनी उड़ानें हुईं प्रभावित?
हीथ्रो एयरपोर्ट (लंदन): 140 से अधिक उड़ानें देर से रवाना या पहुंचीं, ब्रसेल्स एयरपोर्ट: 100+ फ्लाइट्स प्रभावित, बर्लिन एयरपोर्ट: 60+ फ्लाइट्स पर असर पड़ा। यात्रियों को लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा और बोर्डिंग पास की प्रक्रिया में देरी हुई। हालांकि, फ्रैंकफर्ट और ज्यूरिख जैसे बड़े यूरोपीय एयरपोर्ट इस साइबर हमले से बच गए।
अमेरिका में भी विमानन संकट
इसी के साथ अमेरिका में भी शुक्रवार को टेलीकॉम सिस्टम की खराबी के चलते हवाई यात्रा में बड़ी बाधा देखी गई। डलास के दो बड़े एयरपोर्ट्स पर तकनीकी गड़बड़ी के कारण 1800 से ज्यादा उड़ानें देरी से चलीं और सैकड़ों उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। FAA (Federal Aviation Administration) ने बताया कि समस्या स्थानीय टेलीकॉम कंपनी के उपकरणों में आई खराबी के कारण हुई, जिसके चलते ग्राउंड स्टॉप आदेश जारी किया गया। अमेरिकन एयरलाइंस: 200+ फ्लाइट्स रद्द, 500+ में देरी, साउथवेस्ट एयरलाइंस: 1100+ उड़ानें प्रभावित।
इस साइबर अटैक और तकनीकी खराबी ने वैश्विक विमानन प्रणाली की सुरक्षा और निर्भरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक तरफ साइबर सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, वहीं यात्रियों को भरोसेमंद हवाई सेवा देने की चुनौती भी अब और गंभीर होती जा रही है। सरकारें और एयरलाइंस कंपनियां मिलकर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए रणनीति बना रही हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि डिजिटल युग में सुरक्षा की चूक लाखों यात्रियों को प्रभावित कर सकती है।
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