Dal Comparison: भारतीय भोजन में दालों का विशेष स्थान है। हर घर में दाल का तड़का लगना आम बात है, लेकिन जब बात आती है दाल मखनी और दाल तड़का की, तो कई लोग इन दोनों के स्वाद में फर्क समझ नहीं पाते। दिखने में साधारण लगने वाली ये दोनों दालें स्वाद और बनाने के तरीके में एक-दूसरे से पूरी तरह अलग होती हैं। असल फर्क बस एक चीज से होता है, जो इनके स्वाद और टेक्सचर को बिल्कुल बदल देता है।
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दाल मखनी का स्वाद

दाल मखनी पंजाब की खास और शाही डिश मानी जाती है। इसे बनाने के लिए काली साबुत उड़द दाल और थोड़ा सा राजमा उपयोग में लाया जाता है। दाल को घंटों तक धीमी आंच पर पकाया जाता है, ताकि इसका स्वाद गहराई से उभर सके। पकने के बाद इसमें मक्खन और ताज़ा क्रीम डाली जाती है, जो इसे मखमली और रिच बनाते हैं। दाल मखनी हल्की खटास और मिठास के संतुलन के साथ आती है, जो इसे बाकी दालों से अलग बनाती है। रेस्टोरेंट्स में इसे नान, बटर रोटी या तंदूरी रोटी के साथ सर्व किया जाता है।
दाल तड़का
दूसरी ओर, दाल तड़का आमतौर पर तुअर दाल, मूंग दाल या मसूर दाल से बनाई जाती है। इसे बहुत देर तक पकाने की जरूरत नहीं होती। दाल के उबलने के बाद इसमें घी या तेल में तैयार किया गया तड़का डाला जाता है, जिसमें प्याज, टमाटर, लहसुन, हरी मिर्च और देसी मसाले शामिल होते हैं। यह तड़का दाल को तीखा, चटपटा और मसालेदार स्वाद देता है। दाल तड़का का मजा चावल और रोटी दोनों के साथ लिया जा सकता है। उत्तर भारत में खासतौर पर यह डिश बहुत लोकप्रिय है और राजस्थान की मशहूर दाल बाटी में भी इसी दाल का इस्तेमाल होता है।
मक्खन और क्रीम
इन दोनों दालों के बीच सबसे बड़ा और असली फर्क “मक्खन और क्रीम” का है। दाल मखनी को रिच बनाने के लिए भारी मात्रा में मक्खन और क्रीम डाली जाती है, जिससे उसका टेक्सचर मुलायम और स्वाद बेहद मखमली हो जाता है। वहीं दाल तड़का में यह सब नहीं होता। उसका फ्लेवर पूरी तरह देसी तड़के पर निर्भर करता है। दाल मखनी में आमतौर पर तड़का नहीं लगाया जाता और यह बिना लहसुन-अदरक के भी बनाई जा सकती है, जबकि दाल तड़का में लहसुन और मसाले अहम भूमिका निभाते हैं।

