Dalai Lama: तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने 5 जुलाई दिन शनिवार को अपने उत्तराधिकारी की घोषणा और उससे जुड़े विवादों पर बयान देते हुए कहा कि, मुझे लगता है कि वे 30-40 साल और जीवित रहेंगे। धर्मशाला के मैक्लोडगंज स्थित मुख्य दलाई लामा मंदिर त्सुगलागखांग में आयोजित दीर्घायु प्रार्थना समारोह में अपने 90वें जन्मदिन से पहले संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने कहा, “मुझे यह स्पष्ट संकेत मिले हैं कि अवलोकितेश्वर का आशीर्वाद मुझ पर बना हुआ है। मैं अब तक अपने जीवन में सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता रहा हूं, और आप सभी की प्रार्थनाओं से मुझे ऊर्जा और दिशा मिलती रही है।”
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मेरा उद्देश्य जितना संभव हो, जीवों की सेवा करना
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने यह भी कहा कि भले ही तिब्बत को चीन के हाथों खोना पड़ा हो, मगर भारत में निर्वासित जीवन बिताते हुए भी वह दुनिया के कई जीवों के लिए लाभकारी सेवा दे सके हैं। उन्होंने आगे कहा, “मैं अब भी पूरी कोशिश करता हूं कि अधिक से अधिक लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकूं। मेरा उद्देश्य जितना संभव हो, जीवों की सेवा करना है।”
उत्तराधिकारी को लेकर चल रही चर्चाओं पर उन्होंने
उत्तराधिकारी को लेकर चल रही चर्चाओं पर धर्मगुरु ने कहा, “दलाई लामा की परंपरा को जारी रखा जाएगा। मगर केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट को ही पुनर्जन्म की पहचान देने का अधिकार है। कोई अन्य संस्था या सरकार इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकती।”
बता दें कि यह बयान उस वक्त आया है जब चीन सरकार ने दावा किया है कि भविष्य में चुने जाने वाले किसी भी दलाई लामा को चीन की मंजूरी देना जरूरी होगा। इस पर दलाई लामा ने कहा कि पुनर्जन्म एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसे न कोई सरकार नियंत्रित कर सकती है और न ही कोई राजनीतिक शक्ति।
चीन को कड़ा जवाब
इस बीच, तिब्बती निर्वासित सरकार के प्रमुख पेन्पा त्सेरिंग ने चीन के हस्तक्षेप का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने साफ कहा कि चीन की कोई धार्मिक या आध्यात्मिक भूमिका नहीं हो सकती। यह केवल दलाई लामा और उनके आध्यात्मिक अनुयायियों का अधिकार है कि वे यह तय करें कि अगला दलाई लामा कौन और कहां जन्म लेगा।
