Delhi Assembly: दिल्ली विधानसभा अपने इतिहास में पहली बार एक अनोखा और ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। आगामी सत्र से पहले रविवार को विधानसभा का एक विशेष अभ्यास सत्र आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन पूरी तरह से ई-विधानसभा की तकनीकी तैयारियों को परखने और उसमें आई किसी भी खामी को दूर करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।इस अभ्यास सत्र में मुख्यमंत्री, सभी मंत्रीगण और सभी 70 विधायक भाग लेंगे। विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता खुद अपनी अध्यक्षीय कुर्सी से इस ट्रायल का हिस्सा बनेंगे। सत्र लगभग डेढ़ घंटे का होगा, जिसमें पूरी विधानसभा प्रक्रिया का डिजिटल रूप से पूर्वाभ्यास किया जाएगा।
ई-विधानसभा की दिशा में बड़ा कदम
दिल्ली विधानसभा अब पूरी तरह ई-विधानसभा की ओर बढ़ रही है। सदन में अब फेस रीडिंग सिस्टम से लैस आईपैड लगाए गए हैं, जिनके माध्यम से विधायक अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे और सदन की कार्यवाही में भाग लेंगे। यह तकनीक पारंपरिक उपस्थिति पद्धति की जगह लेगी, जिससे विधानसभा कार्यवाही और अधिक पारदर्शी, डिजिटल और पर्यावरण के अनुकूल बन सकेगी।विधानसभा अध्यक्ष ने इसे ऐतिहासिक दिन करार देते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा देश की पहली पूरी तरह डिजिटल और सौर ऊर्जा संचालित विधानसभा बनने की दिशा में अग्रसर है। ई-विधानसभा की यह पहल न केवल कार्यप्रणाली को आधुनिक बना रही है, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल पेश कर रही है।
तकनीकी टीमों की तैनाती और तैयारी
रविवार को होने जा रहे इस अभ्यास सत्र के लिए विधानसभा सचिवालय ने विशेष तैयारियाँ की हैं। ई-विधानसभा की सभी व्यवस्थाओं की जांच और परख के लिए 18 तकनीकी विशेषज्ञों की टीम बनाई गई है। ये विशेषज्ञ अलग-अलग टीमों में बंटकर विधायकों के साथ समन्वय कर रहे हैं और उन्हें डिजिटल प्रणाली से परिचित करा रहे हैं।इस सत्र का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि 4 अगस्त से शुरू होने वाले मानसून सत्र के दौरान किसी भी प्रकार की तकनीकी अड़चन न आए और विधानसभा कार्यवाही बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से चले।
नवाचार और पारदर्शिता की दिशा में दिल्ली विधानसभा का प्रयास
दिल्ली विधानसभा का यह प्रयास देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तकनीकी नवाचार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न केवल डिजिटल इंडिया की अवधारणा को साकार करता है, बल्कि संसदीय कार्यों को अधिक दक्ष, सुलभ और पर्यावरण-संवेदनशील भी बनाता है।

