Delhi Blast: फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य जांच एजेंसियों की निगरानी में है। ED यूनिवर्सिटी से जुड़े वित्तीय लेनदेन और संदिग्ध ट्रांजैक्शनों की गहन जांच करेगी। इसके अलावा अन्य जांच एजेंसियां टेरर फंडिंग और मनी ट्रेल के पहलुओं पर भी काम कर रही हैं।विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यूनिवर्सिटी के खातों और संबंधित संस्थानों की जांच से आतंकी मॉड्यूल की फंडिंग के कई महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं। दिल्ली धमाके की जांच पहले से एनआईए (NIA) कर रही है और अब ED और EOW भी इसमें शामिल हो गए हैं।
Delhi Blast: हरियाणा पुलिस भी यूनिवर्सिटी में जुटी जांच
फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल मामले की जांच के तहत हरियाणा पुलिस ने भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी के हेडक्वार्टर का रुख किया। पुलिस यूनिवर्सिटी से उन डॉक्टरों के दस्तावेज और जानकारी जुटा रही है, जो इस मॉड्यूल से जुड़े हैं।गिरफ्तार आरोपी डॉ. मुज़म्मिल, डॉ. शाहीन सईद और डॉ. उमर नबी का संबंध इसी यूनिवर्सिटी से बताया जा रहा है। पुलिस का मकसद है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े दस्तावेज जांच में नए साक्ष्य और सुराग दे सकें।
Delhi Blast: लाल ब्रेज़ा कार बरामद, फॉरेंसिक जांच जारी
सुरक्षा एजेंसियों की तलाश में रही लाल ब्रेज़ा कार आखिरकार यूनिवर्सिटी परिसर से बरामद हो गई। यह वही कार है, जो फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़ी थी और जिसमें विस्फोटक सामग्री होने की आशंका जताई गई थी।सूत्रों के अनुसार यह कार डॉ. शाहीन के नाम पर रजिस्टर्ड है। फॉरेंसिक टीम ने कार की बारीकी से जांच शुरू कर दी है।10 नवंबर को लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास शाम लगभग 6:52 बजे i20 कार में धमाका हुआ, जिसने इलाके में दहशत फैलाई। शुरुआती जांच में पता चला कि विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट सहित अन्य ज्वलनशील पदार्थ इस्तेमाल किए गए थे।घटना के तुरंत बाद दिल्ली पुलिस और NSG टीम मौके पर पहुंची और पूरे इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया।
फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से गिरफ्तार आरोपी और बरामद सामग्री
जांच में सामने आया कि धमाके में इस्तेमाल कार डॉ. उमर नबी के नाम पर रजिस्टर्ड थी। डॉ. उमर नबी अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर थे।
इस मामले में डॉ. उमर नबी, डॉ. मुज़म्मिल और डॉ. शाहीन को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से लगभग 2,900 किलो विस्फोटक, हथियार और कोडेड डायरी बरामद हुई है।एजेंसियों के अनुसार यह फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सक्रिय था। प्रारंभिक जांच से संकेत मिल रहे हैं कि इसका संबंध पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से हो सकता है।अगली जांच यूनिवर्सिटी के वित्तीय लेनदेन, फंडिंग ट्रेल और दस्तावेजों के माध्यम से मॉड्यूल की व्यापक कनेक्टिविटी को उजागर करने पर केंद्रित है।
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