Delhi Car Blast: दिल्ली लाल किला आतंकी धमाके (Delhi Red Fort Blast) में मरने वालों की संख्या बढ़कर अब 13 हो गई है। एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती 35 वर्षीय बिलाल हसन ने सोमवार देर रात दम तोड़ दिया। धमाके में बिलाल को गंभीर चोटें आई थीं, जिससे उनकी आंतें और फेफड़े फट गए थे। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन आखिरकार उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
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तीन की हालत अब भी गंभीर
लाल किला ब्लास्ट के घायलों का इलाज दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में जारी है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, अभी भी करीब 20 घायल मरीज भर्ती हैं, जिनमें से तीन की हालत नाजुक बनी हुई है। सभी गंभीर घायलों को आईसीयू (ICU) में रखा गया है। डॉक्टरों की विशेष टीम लगातार उनकी सेहत पर नजर रख रही है।
विस्फोटक सामग्री खरीदने में हुई फंडिंग का खुलासा
जांच एजेंसियों ने लाल किला आतंकी हमले (Red Fort Terror Attack) में शामिल ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल (White-collar Terror Module)’ से जुड़ा बड़ा वित्तीय सुराग खोज निकाला है। सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए डॉक्टरों — डॉ. मुजम्मिल गनई, डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. शाहीन सईद और डॉ. उमर नबी — ने मिलकर 26 लाख रुपये से अधिक की नकद राशि जुटाई थी। यह रकम विस्फोटक सामग्री और आईईडी तैयार करने में इस्तेमाल हुई। अधिकारियों का कहना है कि पूरी धनराशि डॉ. उमर नबी को सौंपी गई थी, जो इस आतंकी ऑपरेशन का फील्ड कोऑर्डिनेटर था।
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पुलवामा से फरीदाबाद तक फैला नेटवर्क
जांच में पता चला है कि डॉ. उमर नबी, जो हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था, ब्लास्ट के दिन हुंडई आई20 कार चला रहा था। यह वही कार थी जिसमें विस्फोटक रखा गया था। उमर का संबंध जम्मू-कश्मीर के पुलवामा से है और उसने अन्य डॉक्टरों के साथ मिलकर इस आतंकी साजिश (terror conspiracy) को अंजाम दिया। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह फंडिंग सिर्फ इस हमले के लिए नहीं, बल्कि एक बड़ी आतंकी योजना का हिस्सा थी।
26 क्विंटल NPK खाद से बना विस्फोटक
सुरक्षा एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि इन डॉक्टरों ने जुटाई गई रकम में से लगभग 3 लाख रुपये खर्च कर 26 क्विंटल NPK खाद खरीदी थी। यह खाद गुरुग्राम, नूंह और आस-पास के इलाकों से खरीदी गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि एनपीके उर्वरक (NPK Fertilizer) को अन्य रसायनों के साथ मिलाकर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) तैयार किया जा सकता है। पुलिस अब इन खरीदों के वित्तीय और आपूर्ति रिकॉर्ड खंगाल रही है।
आतंकी डॉक्टरों में पैसों को लेकर विवाद
जांच में यह भी सामने आया है कि धमाके से पहले डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल गनई के बीच फंड के बंटवारे को लेकर तनाव था। सूत्रों का कहना है कि यह वित्तीय विवाद (financial dispute) आतंकी योजना की टाइमलाइन को प्रभावित कर सकता है। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इस विवाद की वजह से हमले की तारीख या विस्फोट की रणनीति बदली गई थी।
एनआईए की जांच में फंडिंग
एनआईए (National Investigation Agency) अब इस केस में वित्तीय लेन-देन, विस्फोटक आपूर्ति श्रृंखला और आतंकी संगठनों से कनेक्शन की गहराई से जांच कर रही है। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह ‘डॉक्टर टेरर मॉड्यूल’ केवल दिल्ली ब्लास्ट तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका नेटवर्क कश्मीर, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में फैला हुआ था। फंडिंग के रास्तों और डिजिटल सबूतों की जांच से आने वाले दिनों में इस साजिश की पूरी परतें खुल सकती हैं।
दिल्ली लाल किला ब्लास्ट अब सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं रहा — यह एक वित्तीय और बौद्धिक आतंक नेटवर्क का खुलासा बन चुका है। 26 लाख की फंडिंग, 26 क्विंटल विस्फोटक और डॉक्टरों की आतंकी साजिश ने एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। एनआईए का दावा है कि जल्द ही इस मॉड्यूल की पूरी साजिश का पर्दाफाश हो जाएगा।

