Delhi Pollution: दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण ने एक बार फिर खतरनाक स्तर पार कर लिया है। शनिवार सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 560 से ऊपर दर्ज किया गया, जिससे लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) और अन्य मॉनिटरिंग एजेंसियों के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, नोएडा के सेक्टर 26 में सुबह 7:47 बजे AQI 561 रिकॉर्ड किया गया, जो ‘खतरनाक’ श्रेणी में आता है।
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NCR के प्रमुख इलाकों की स्थिति

नोएडा (सेक्टर 26): AQI 561 – खतरनाक
फरीदाबाद: AQI 412 – गंभीर
नई दिल्ली (US एम्बेसी): AQI 312 – बहुत खराब से गंभीर
गुरुग्राम: AQI 297 – बहुत खराब
गाजियाबाद: AQI 268 – बहुत खराब
इन आंकड़ों से साफ है कि दिल्ली और आसपास के शहरों में प्रदूषण का स्तर बेहद गंभीर हो चुका है।
एक दशक का एनालिसिस
नई रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पिछले दस वर्षों से देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा है। 2015 से नवंबर 2025 तक 11 भारतीय शहरों के एयर क्वालिटी डेटा का अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि किसी भी बड़े शहर ने अपने सालाना औसत में सुरक्षित AQI स्तर हासिल नहीं किया।
रिपोर्ट बताती है कि इंडो-गैंगेटिक क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और मौसम विज्ञान सर्दियों में लगातार स्मॉग बनने में योगदान देते हैं। अक्टूबर से बारिश की कमी और कमजोर वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ने प्रदूषकों के फैलाव को रोक दिया, जिससे समय से पहले स्मॉग बनने की गति तेज हो गई।
प्रदूषण की संरचनात्मक समस्या
डेटा से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत में वायु प्रदूषण की समस्या राष्ट्रीय और लगातार बनी हुई है। शहरीकरण, ट्रैफिक, उद्योग और मौसम की परिस्थितियां इस समस्या को और गंभीर बना रही हैं। इसे हल करने के लिए वैज्ञानिक और व्यवस्थित नीतिगत प्रयासों की आवश्यकता है।
एनालिसिस की मुख्य बातें

2015 से 2025 के बीच किसी भी बड़े भारतीय शहर में सुरक्षित AQI स्तर दर्ज नहीं हुआ।
दिल्ली पूरे दशक में सबसे प्रदूषित शहर रहा, 2025 में भी इसका औसत AQI 180 के आसपास रहा।
लखनऊ, वाराणसी और अहमदाबाद जैसे उत्तरी शहरों में लगातार खराब AQI दर्ज किया गया।
कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, चंडीगढ़ और विशाखापत्तनम में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही, लेकिन सुरक्षित स्तर से दूर रही।
बेंगलुरु की हवा सबसे साफ रही, फिर भी इसका AQI ‘अच्छी’ श्रेणी से ऊपर रहा।
2020 के बाद कुछ शहरों में सुधार दिखा, लेकिन कोई भी शहर अच्छी एयर क्वालिटी हासिल नहीं कर पाया।
2025 में पराली जलाने की घटनाओं में कमी के बावजूद दिल्ली की हवा में कोई सुधार नहीं हुआ।

