Delhi Air Polution: दिल्ली–NCR में वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी सलाह दी है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि प्रदूषण समस्या का समाधान केवल तात्कालिक कदमों से नहीं होगा। सभी हितधारकों को साथ बैठाकर दीर्घकालिक रणनीति तैयार करनी होगी।
Delhi Pollution:व्यापक समाधान की आवश्यकता
CJI गवई ने स्पष्ट किया कि समस्या केवल एक पक्ष को देखकर हल नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, “हम निर्माण पूरी तरह बंद नहीं कर सकते क्योंकि इससे यूपी और बिहार के मजदूरों पर सीधा असर पड़ेगा। जमीन पर ऐसे आदेश कई लोगों को प्रभावित करते हैं।” कोर्ट ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को सभी राज्यों और संबंधित पक्षों को शामिल करते हुए सतत समाधान निकालना चाहिए।
Delhi Pollution: याचिकाकर्ता की ओर से गंभीर चेतावनी
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति आपातकालीन है। उन्होंने कहा कि निर्माण गतिविधियाँ छह महीने पहले ही रोक दी जानी चाहिए थी। भारत में GRAP (Graded Response Action Plan) लागू करने की सीमा बहुत ऊंची है और इसका प्रभाव सीमित है। उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा में पराली प्रबंधन के लिए जमीनी स्तर पर मशीनों की आवश्यकता है।
बच्चों और नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रभाव
शंकरनारायणन ने चेताया कि PM 2.5 कण बच्चों के फेफड़ों में जाकर अपरिवर्तनीय नुकसान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि WHO के अनुसार 50 AQI भी खतरनाक है, जबकि दिल्ली में प्रदूषण स्तर 450 AQI तक पहुँच चुका है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हर 10 में से 3 मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या सभी गतिविधियाँ रोक दी जाएँ, तो उन्होंने उत्तर दिया कि हाँ, लोग प्रदूषण के कारण फेफड़ों की बीमारियों से मर रहे हैं।CJI गवई ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और NCR के सभी राज्य मिलकर समस्या का समाधान करें। उन्होंने कहा कि केवल अल्पकालिक निर्देशों से समाधान संभव नहीं है। दीर्घकालिक और समन्वित प्रयास ही प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण ला सकते हैं।
सैटेलाइट निगरानी और पराली जलाने की चुनौती
याचिकाकर्ता ने बताया कि पराली जलाने के समय सैटेलाइट निगरानी का पता लगाया जाता है और किसान उसी समय पराली जलाते हैं। इस वजह से नियंत्रण मुश्किल हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सैटेलाइट मॉनिटरिंग और अल्पकालिक कदमों से प्रदूषण नहीं रुकेगा। सभी संबंधित राज्यों की संयुक्त कार्रवाई ही इसका वास्तविक और स्थायी समाधान है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने केंद्र और राज्यों पर स्पष्ट दबाव डाल दिया है कि दिल्ली–NCR के प्रदूषण के लिए समग्र, दीर्घकालिक योजना बनाई जाए। केवल निर्माण पर रोक या अल्पकालिक कदम पर्याप्त नहीं होंगे। कोर्ट ने सभी पक्षों से संयुक्त रणनीति और निगरानी बढ़ाने का आह्वान किया है।
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