Delhi Riots Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि ये लोग देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हुए थे और इसलिए इन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।
Delhi Riots Case: दिल्ली पुलिस का आरोप
दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुनवाई के दौरान एक गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “आजकल यह चलन बन गया है कि डॉक्टर और इंजीनियर जैसे पेशेवर लोग अपने पेशे का काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं।” यह टिप्पणी शरजील इमाम के संदर्भ में की गई, जिनका आरोप है कि उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए थे। राजू ने न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ को बताया कि इमाम का भाषण हिंसक प्रदर्शन को उकसाने के लिए था, जिसमें उन्होंने दिल्ली के अलावा जामिया, अलीगढ़ और आसनसोल में भी भाषण दिए थे।
Delhi Riots Case: इमाम का भड़काऊ भाषण और दंगों से संबंध
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम के 2019 और 2020 के भड़काऊ भाषणों का वीडियो भी पेश किया। वीडियो में इमाम को दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर भाषण देते हुए देखा गया, जिसमें वह नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने की बात कर रहे थे। ASG ने कहा कि इमाम का यह भाषण दंगों से पहले दिया गया था और इसमें वह बंद की बात कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के प्रदर्शन हिंसक थे, न कि केवल शांतिपूर्ण आंदोलन।
न्यायालय ने पूछा: क्या भाषण आरोपपत्र का हिस्सा हैं?
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति कुमार ने पूछा कि क्या इमाम के भाषण आरोपपत्र का हिस्सा थे, जिसके जवाब में एसवी राजू ने ‘हां’ में उत्तर दिया। यह पुष्टि करते हुए कि इमाम का भाषण दंगों के प्रोत्साहक के रूप में पेश किया जा रहा था, राजू ने कोर्ट को बताया कि ये भाषण दंगे भड़काने के आरोपों को मजबूत करते हैं।सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ASG ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट में हो रही देरी के लिए खुद आरोपी पक्ष जिम्मेदार हैं। उन्होंने कोर्ट को उन आदेशों का हवाला दिया, जिनमें यह कहा गया था कि कई मौकों पर बचाव पक्ष के वकील आरोप तय करने की प्रक्रिया में पेश नहीं हुए। दिल्ली पुलिस का तर्क था कि ऐसे मामलों में जमानत देना उचित नहीं होगा, क्योंकि आरोपियों की वजह से मुकदमे की प्रक्रिया में देरी हुई है।
दंगों के मामले में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज
उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर और रहमान पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपियों पर 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के मास्टरमाइंड होने का आरोप है, जिनमें 53 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।दिल्ली पुलिस द्वारा जमानत का विरोध किए जाने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या फैसला लेता है। अदालत ने जमानत याचिकाओं पर जल्द ही निर्णय देने की बात की है, हालांकि पुलिस का कहना है कि आरोपियों द्वारा की गई देरी को देखते हुए उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
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