Devshayani Ekadashi 2025: सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन एकादशी व्रत को खास बताया गया है जो कि भगवान विष्णु की साधना आराधना को समर्पित है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है और कष्टों का निवारण हो जाता है।
पंचांग के अनुसार अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ती है। इस एकादशी को विशेष माना गया है इसी एकादशी से अगले चार महीनो तक भगवान विष्णु पाताल लोग में विश्राम करते हैं उनके सोने के कारण ही इस एकादशी का नाम देवशयनी एकादशी रखा गया है। तो हम आपको अपने इस लेख द्वारा देवशयनी एकादशी की तारीख और इससे जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
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देवशयनी एकादशी की तारीख

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 5 जुलाई दिन शनिवार की शाम को 6 बजकर 59 मिनट से आरंभ हो रही है। जो कि 6 जुलाई दिन रविवार की रात 9 बजकर 15 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। एकादशी तिथि का सूर्योदय 6 जुलाई को होगा। इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा।
एकादशी पर न करें ये काम
मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु निद्रा में होते हैं और उनकी अनुपस्थिति में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। यही कारण है कि इस दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश मुंडन जैसे शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए। इस दौरान मांस, मदिरा और तामसिक चीजों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस दौरान भूमि पर शयन करना अच्छा माना जाता है।
जरूर करें यह काम
चातुर्मास के दिनों में सात्विक भोजन करें, दान पुण्य करना उत्तम माना जाता है। इसके अलावा जरूरतमंद और गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और कृपा करते हैं। इसके अलावा चातुर्मास के दिनों में भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना भी उत्तम माना जाता है।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है।प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।

