Ayodhya News: अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के 33 साल बाद, धन्नीपुर गांव में बनने वाली नई मस्जिद परियोजना के लिए एक संभावित समय सीमा सामने आई है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी संभाल रहे ट्रस्ट के प्रमुख ने निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए अप्रैल 2026 की तारीख निर्धारित की है। यह घोषणा राम मंदिर निर्माण के बाद सांप्रदायिक सद्भाव की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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अप्रैल 2026 तक मस्जिद निर्माण पूरा करने का लक्ष्य
बताते चले कि, इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के अध्यक्ष जफर फारूकी ने बताया कि यदि सभी नियामक बाधाएं दूर हो जाती हैं और अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) मस्जिद के संशोधित ले आउट प्लान को मंजूरी दे देता है, तो मस्जिद परियोजना को अप्रैल 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि संशोधित ले आउट प्लान को दिसंबर के अंत तक एडीए को जमा कर दिया जाएगा। ADA की हरी झंडी मिलते ही धन्नीपुर में नई मस्जिद के निर्माण कार्य को तेजी मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मिली 5 एकड़ जमीन
मस्जिद परियोजना के आसपास विवादों और आरोप-प्रत्यारोपों के बावजूद, पांच साल से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी मूल मस्जिद योजना पर अनिश्चितता बनी हुई है। अयोध्या जिला प्रशासन ने उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक आदेश के बाद धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन आवंटित की थी।
फारूकी ने स्पष्ट किया कि आईआईसीएफ द्वारा तैयार किया गया मस्जिद का पहला ले आउट प्लान एडीए द्वारा खारिज कर दिया गया था। इसके अलावा, आईआईसीएफ ने स्वयं भी समुदाय के विरोध के कारण उस अत्याधुनिक डिजाइन को छोड़ दिया और अब एक अधिक पारंपरिक मस्जिद डिजाइन को अपनाने का फैसला लिया है। यह परिवर्तन दिखाता है कि ट्रस्ट जनभावनाओं को ध्यान में रखकर योजना को अंतिम रूप दे रहा है।
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पर्याप्त जमीन की कमी और भविष्य की रणनीति
एडीए की मंजूरी मिलना मस्जिद निर्माण के लिए पहला अहम पड़ाव होगा, लेकिन आईआईसीएफ के सामने अन्य बड़ी चुनौतियां भी मौजूद हैं। इनमें सबसे प्रमुख है धन्नीपुर स्थल पर परियोजना के विस्तार के लिए पर्याप्त जमीन की उपलब्धता की कमी।
फारूकी ने बताया कि परियोजना के अभी शुरुआती दिन हैं, और यदि मस्जिद परियोजना के लिए अतिरिक्त जमीन हासिल करने में कोई समस्या आती है, तो ट्रस्ट परियोजना को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की रणनीति पर विचार कर सकता है। इसका अर्थ है कि पूरी परियोजना को विभिन्न स्थानों पर या विभिन्न चरणों में किस्तों में पूरा किए जाने की संभावना है, ताकि वित्तीय और भूमि संबंधी बाधाओं को पार किया जा सके।
मस्जिद निर्माण की अनुमानित लागत 65 करोड़ रुपये
आईआईसीएफ अध्यक्ष जफर फारूकी ने धन्नीपुर मस्जिद परियोजना की तुलना भव्य राम मंदिर के निर्माण से करने को गलत बताया। उन्होंने मस्जिद निर्माण की लागत का अनुमान लगाते हुए कहा कि मस्जिद, ‘वज़ूखाना’ और उससे जुड़े अन्य निर्माणों पर अकेले करीब 65 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
हालांकि, वित्तीय स्थिति चिंताजनक है। फारूकी ने स्वीकार किया कि ट्रस्ट के पास वर्तमान में मुश्किल से तीन करोड़ रुपये से कुछ ज़्यादा ही हैं। उन्होंने माना कि मस्जिद परियोजना के लिए दान और लोगों की वित्तीय प्रतिक्रिया बहुत कम रही है, जो परियोजना की प्रगति के लिए एक बड़ी वित्तीय चुनौती है। ट्रस्ट को अब निर्माण के लिए पर्याप्त धन जुटाने पर विशेष ध्यान केंद्रित करना होगा।

