Dharchula Landslide: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में रविवार को अचानक हुई भारी बारिश के चलते भयानक लैंडस्लाइड की घटना सामने आई। इस आपदा ने पूरे इलाके को प्रभावित कर दिया है। भारी मलबा गिरने से राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (एनएचपीसी) के धौलीगंगा पावर प्रोजेक्ट की टनल पूरी तरह से बंद हो गई है, जिससे लगभग 19 कर्मचारी सुरंग के अंदर फंस गए हैं।
मजदूरों की सुरक्षा के लिए बचाव कार्य जारी
पिथौरागढ़ की पुलिस अधीक्षक रेखा यादव ने बताया कि सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों की स्थिति गंभीर है। बड़े-बड़े पत्थरों ने सुरंग के मुख को बंद कर दिया है, जिससे बाहर निकलना असंभव हो गया है। अधिकारियों ने मौके पर तुरंत बचाव अभियान शुरू कर दिया है और मलबा हटाने के लिए जेसीबी मशीनों को भी भेजा गया है ताकि फंसे हुए कर्मचारियों को जल्दी से जल्दी सुरक्षित निकाला जा सके। मौके पर बचाव दल की टीम ने कहा है कि स्थिति अत्यंत नाजुक है और समय की मार है। भारी बारिश और मलबे के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही है। फिर भी राहत एवं बचाव कार्य लगातार जारी है ताकि फंसे हुए कर्मचारियों तक जल्द से जल्द पहुंचा जा सके। स्थानीय प्रशासन और एनएचपीसी के अधिकारियों द्वारा हर संभव संसाधन तैनात किए गए हैं।
प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रशासन सतर्क
धारचूला क्षेत्र में लैंडस्लाइड की यह घटना उत्तराखंड में बार-बार हो रही प्राकृतिक आपदाओं का एक नया उदाहरण है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस क्षेत्र में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, राहत कार्यों को गति देने के लिए उच्चस्तरीय बैठकें भी आयोजित की गई हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटने में कोई कमी न रह जाए।
जल्द मिलेगी फंसे हुए कर्मचारियों की सूचना
पिथौरागढ़ पुलिस और एनएचपीसी के अधिकारी लगातार फंसे कर्मचारियों से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि अभी तक सुरंग के अंदर फंसे लोगों की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन बचाव दल आश्वस्त है कि जल्द ही सभी सुरक्षित निकाल लिए जाएंगे। राज्य सरकार ने सभी संबंधित एजेंसियों को अलर्ट रहने और बचाव कार्यों को प्राथमिकता देने के आदेश दिए हैं।
उत्तराखंड में बढ़ती प्राकृतिक आपदा
उत्तराखंड जैसे भूस्खलन और भारी बारिश प्रवण क्षेत्र में ऐसी घटनाएं चिंता का विषय हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश को बेहतर आपदा प्रबंधन और रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके। फिलहाल, अधिकारियों की प्राथमिकता फंसे हुए कर्मचारियों की जान बचाना और क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इस घटना ने फिर से उत्तराखंड के उस संवेदनशील पर्यावरण और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों की याद दिला दी है, जहां प्राकृतिक आपदाओं के चलते जान-माल का भारी नुकसान होता रहता है।

