Durgapur Gangrape Case: पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में कथित सामूहिक बलात्कार की घटना ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। इस बीच समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए महिलाओं की सुरक्षा को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों पर सवाल खड़े किए हैं। डिंपल यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा:”यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। यह सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।” उन्होंने कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सरकारों की चुप्पी और निष्क्रियता बेहद चिंताजनक है। उनके मुताबिक, महिला सुरक्षा को लेकर कोई ठोस नीति या दिशा नहीं दिखाई दे रही है, जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।
यूपी में दोगुना हुए जघन्य अपराध: डिंपल यादव
डिंपल यादव ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को घेरते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है। “इसके लिए सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि वह समाज को दिशा दिखाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती। सिर्फ कानून बना देने से बदलाव नहीं आता, जब तक सरकार की नीयत और कार्यप्रणाली में ईमानदारी न हो,”।
1090 महिला हेल्पलाइन को किया गया कमजोर
सपा सांसद ने अपनी पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार की ओर से शुरू की गई 1090 महिला हेल्पलाइन का जिक्र करते हुए कहा कि यह सेवा महिलाओं के लिए एक प्रभावी माध्यम थी।”समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान 1090 सेवा के जरिए हजारों महिलाओं की मदद की गई। लेकिन मौजूदा सरकार ने इस व्यवस्था को कमजोर कर दिया है, जिससे इसकी प्रभावशीलता घट गई है।” उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ प्रचार करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है।
महिला सुरक्षा पर सियासत नहीं, संजीदगी होनी चाहिए
डिंपल यादव ने यह भी कहा कि महिला सुरक्षा कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी है। सरकारों को इसे प्राथमिकता देनी चाहिए और अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। “महिलाएं सिर्फ वोट बैंक नहीं हैं। उनके अधिकारों, सम्मान और सुरक्षा के लिए सशक्त नीति और प्रतिबद्धता जरूरी है।”
दुर्गापुर की घटना ने एक बार फिर महिला सुरक्षा को लेकर देश की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। डिंपल यादव की टिप्पणी इस बहस को और तेज कर रही है कि क्या सिर्फ कानून बना देना काफी है, या जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन और जवाबदेही भी उतनी ही जरूरी है।
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