Donald Trump on India Pakistan Ceasefire:अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बड़ा दावा किया है कि इस साल मई में भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनाव और संघर्ष हुआ था, वह परमाणु युद्ध में बदल सकता था। ट्रंप के अनुसार, अमेरिका ने अपनी कूटनीति और व्यापारिक दबाव की नीति के जरिए इस खतरे को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच यह लड़ाई बेहद गंभीर थी और यदि समय पर हस्तक्षेप न किया जाता तो हालात बेहद खतरनाक हो सकते थे।
ट्रंप के शब्दों में अमेरिका का कूटनीतिक दबाव
ट्रंप ने कहा, “हमने कई बड़े संघर्षों को रोका है, जिनमें से एक बहुत बड़ा संघर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच था। हमने दोनों देशों को स्पष्ट संदेश दिया कि यदि वे लड़ेंगे तो अमेरिका किसी भी तरह के व्यापारिक सौदे से पीछे हट जाएगा। इस कदम ने तनाव को कम करने में मदद की।” उन्होंने यह भी कहा कि उस समय दोनों देश शायद परमाणु हथियार बनाने के महत्वपूर्ण चरण में थे, इसलिए संघर्ष को रोकना और भी जरूरी था।
मई माह में हुए संघर्ष और सीजफायर की घोषणा
यह विवाद 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ था। भारत ने 6-7 मई की दरमियानी रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत पीओके में कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिसे भारत ने कड़ी जवाबी कार्रवाई से नाकाम किया। इस संघर्ष ने पूरे क्षेत्र को तनाव में डाल दिया था।लगातार तीन दिनों तक चले इस संघर्ष के बाद 10 मई को भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर का ऐलान किया। इस ऐलान की घोषणा ट्रंप ने की थी, हालांकि भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की ओर से सीजफायर की अपील आई थी और ट्रंप की इसमें कोई भूमिका नहीं थी।
भारत-पाकिस्तान संबंधों में अमेरिका की भूमिका पर विवाद
ट्रंप की इस घोषणा के बाद भारत सरकार ने अपनी तरफ से स्थिति स्पष्ट की और कहा कि भारत की कोई भी निर्णय प्रक्रिया किसी बाहरी दबाव में नहीं होती। भारत ने पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ अपने रुख को जारी रखा है। वहीं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ने यह जताया कि उनकी नीति और कदमों ने तनाव को नियंत्रित करने में योगदान दिया।
तनाव की घड़ी में कूटनीति का महत्व
डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे ने भारत-पाकिस्तान संबंधों और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के बीच संतुलन की अहमियत को फिर से उजागर किया है। भले ही भारत ने ट्रंप के बयान को आधिकारिक तौर पर स्वीकार न किया हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि क्षेत्रीय शांति के लिए बाहरी देशों का दबाव और मध्यस्थता कभी-कभी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।मौजूदा दौर में भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों को सुलझाने और शांति बनाए रखने के लिए निरंतर संवाद और कूटनीतिक प्रयास आवश्यक हैं, ताकि किसी भी तरह के बड़े संघर्ष और विशेषकर परमाणु युद्ध जैसी भयावह स्थिति से बचा जा सके।