Donald Trump: अमेरिका ने भारत की छह पेट्रोलियम कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाते हुए बड़ा झटका दिया है। अमेरिका का कहना है कि इन कंपनियों ने ईरान से तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों का व्यापार किया, जो अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय का तर्क है कि ईरान इन व्यापारिक सौदों से होने वाली कमाई का इस्तेमाल मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलाने और आतंकवाद को बढ़ावा देने में करता है।
ईरान पर गंभीर आरोप
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि ईरान अपनी आर्थिक कमाई का एक बड़ा हिस्सा क्षेत्रीय संघर्षों को भड़काने और अपने ही नागरिकों पर अत्याचार करने में इस्तेमाल करता है। अमेरिका का मानना है कि यह राजस्व स्रोत वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा है, और इसी कारण अमेरिका ईरान के साथ व्यापार कर रही कंपनियों पर लगातार प्रतिबंध लगा रहा है।
इन भारतीय कंपनियों पर लगा प्रतिबंध
- अमेरिकी प्रतिबंधों की सूची में भारत की छह कंपनियां शामिल हैं, जिन पर ईरान से करोड़ों डॉलर के उत्पाद खरीदने का आरोप है:
- अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड
- इस कंपनी ने जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच ईरान से 84 मिलियन डॉलर से अधिक के पेट्रोकेमिकल उत्पाद खरीदे।
- ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड
- जुलाई 2024 से जनवरी 2025 के बीच इस कंपनी ने 51 मिलियन डॉलर के पेट्रोकेमिकल उत्पाद, खासकर मेथनॉल, ईरान से मंगवाए।
- जुपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड
- जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक इस कंपनी ने 49 मिलियन डॉलर से ज्यादा के उत्पाद ईरान से आयात किए।
- रामनिकलाल एस गोसालिया एंड कंपनी
- इस कंपनी पर 22 मिलियन डॉलर के उत्पाद ईरान से मंगवाने का आरोप है।
- परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड
- अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच लगभग 14 मिलियन डॉलर के पेट्रोकेमिकल उत्पाद, जिनमें मेथनॉल प्रमुख है, इस कंपनी ने खरीदे।
- कंचन पॉलिमर्स
- इस कंपनी ने 1.3 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के उत्पाद ईरान से आयात किए।
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अन्य देशों की कंपनियां भी अमेरिका के निशाने पर
भारत के अलावा अमेरिका ने तुर्किए, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), चीन और इंडोनेशिया की कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं। इन पर भी ईरान से व्यापार करने का आरोप है। अमेरिका का कहना है कि वैश्विक स्तर पर ईरान को आर्थिक रूप से कमजोर करना जरूरी है ताकि वह अपनी अस्थिरकारी गतिविधियों को अंजाम न दे सके।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर संभव
इस कार्रवाई से भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ सकता है। भारत पहले भी ईरान से कच्चा तेल आयात करता रहा है, लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण यह व्यापार कम हो गया था। अब, निजी कंपनियों पर सीधा प्रतिबंध लगाकर अमेरिका ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि वह ईरान से किसी भी प्रकार के व्यापार को बर्दाश्त नहीं करेगा।यह मामला अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, व्यापार और सुरक्षा के उस पेचीदा जाल को दर्शाता है, जिसमें आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था उलझी हुई है।