Donald Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को आयात शुल्क (टैरिफ) को लेकर बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने घोषणा की है कि 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका में फार्मास्यूटिकल दवाओं पर 100% टैरिफ, रसोई कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी पर 50%, असबाबवाला फर्नीचर (upholstered furniture) पर 30%, और भारी ट्रकों पर 25% आयात कर लगाया जाएगा। ट्रंप ने इस घोषणा की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल के ज़रिए दी।
किन कंपनियों को मिलेगी छूट?
ट्रंप ने स्पष्ट किया कि ये टैरिफ उन कंपनियों पर लागू नहीं होंगे जो अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स (निर्माण संयंत्र) स्थापित कर रही हैं। यानी, यदि कोई विदेशी दवा कंपनी अमेरिका में ही उत्पादन करती है, तो उस पर 100% टैरिफ लागू नहीं होगा।यह नीति ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे को दर्शाती है, जिसमें विदेशी आयातों पर निर्भरता घटाकर घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना है।
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233 अरब डॉलर का दवाओं का आयात
एक आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका ने 2024 में लगभग 233 अरब डॉलर की दवाएं और औषधीय उत्पाद आयात किए थे। ऐसे में 100% टैरिफ लागू होने के बाद अमेरिका में दवाओं की कीमतें दोगुनी तक हो सकती हैं। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की लागत, खासकर मेडिकेयर और मेडिकेड पर बड़ा असर पड़ सकता है।
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आम जनता पर बढ़ेगा असर
ट्रंप की नई टैरिफ नीति से आम अमेरिकी नागरिकों को दवाओं, रसोई से जुड़े उत्पादों और ट्रांसपोर्ट से जुड़ी वस्तुओं पर सीधा आर्थिक असर झेलना पड़ सकता है।
दवाओं की कीमतें बढ़ने से बीमारों पर भार बढ़ेगा।
रसोई कैबिनेट और फर्नीचर पर टैरिफ से घरों की मरम्मत व सजावट महंगी होगी।
भारी ट्रकों पर टैरिफ बढ़ने से लॉजिस्टिक्स लागत बढ़ेगी, जिससे अन्य उत्पादों के दाम भी बढ़ सकते हैं।
मुद्रास्फीति को लेकर ट्रंप के दावे
ट्रंप का कहना है कि मुद्रास्फीति अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए कोई चुनौती नहीं है, लेकिन आर्थिक रिपोर्ट्स इससे सहमत नहीं हैं।
वर्तमान में अमेरिका का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 2.9% है, जो अप्रैल 2025 में 2.3% था — जब ट्रंप ने पहली बार आयात शुल्क बढ़ाने की योजना पेश की थी।आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि नए टैरिफ से महंगाई और आर्थिक विकास पर दोहरा दबाव पड़ सकता है।
वैश्विक व्यापार और निवेश पर भी असर
ट्रंप के इस फैसले का असर सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और विदेशी निवेश पर भी पड़ेगा। पहले ही कई अमेरिकी नियोक्ता ट्रंप की पिछली टैरिफ नीतियों से जूझ रहे हैं और व्यापारिक अनिश्चितता से प्रभावित हैं।
