UNSC Baloch Resolution: पाकिस्तान और चीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में उस समय बड़ा झटका लगा जब अमेरिका ने बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) को आतंकवादी संगठन घोषित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। पाकिस्तान की मांग थी कि अफगानिस्तान की मदद से कथित तौर पर सीमा पर सक्रिय BLA और उसके आत्मघाती दस्ते मजीद ब्रिगेड को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए। हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे अस्वीकार कर दिया।
अमेरिका का यू-टर्न?
गौरतलब है कि महज एक महीने पहले, अमेरिका ने बलूच लिबरेशन आर्मी और मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) घोषित किया था। उस वक़्त विश्लेषकों का मानना था कि यह फैसला पाकिस्तान को संतुष्ट करने के लिए लिया गया है, खासकर ऐसे समय में जब इस्लामाबाद और वाशिंगटन के रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही थी। लेकिन अब संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का रुख पूरी तरह बदला हुआ दिखा। अमेरिका के साथ ब्रिटेन और फ्रांस ने भी यह कहते हुए प्रस्ताव को खारिज किया कि BLA को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण मौजूद नहीं हैं।
पाकिस्तान-चीन की साझा कोशिश नाकाम
पाकिस्तान ने सुरक्षा परिषद में दावा किया कि बलूच लिबरेशन आर्मी अफगानिस्तान की सरजमीं से कम से कम 60 आतंकी कैंप चला रही है और पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने की साजिश कर रही है। चीन ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि यह संगठन क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बन चुका है। लेकिन अमेरिका के विरोध के चलते यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। इससे पाकिस्तान और चीन दोनों को कूटनीतिक स्तर पर झटका लगा है।
भारत-अमेरिका संबंधों का असर?
इस घटनाक्रम को भारत-अमेरिका के मजबूत होते रिश्तों से भी जोड़ा जा रहा है। हाल के महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बढ़ती नजदीकियों के चलते अमेरिका का रुख पाकिस्तान के प्रति थोड़ा ठंडा पड़ा है।विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की चिंताओं को देखते हुए अमेरिका अब पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को लेकर ज्यादा सतर्क हो गया है, और बलूच आंदोलन को पूरी तरह आतंकवाद करार देने से बच रहा है।
BLA आतंकवादी नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ और सेना प्रमुख असीम मुनीर से मुलाक़ात कर सकते हैं। यह बैठक 25 सितंबर को संभावित है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक के दौरान पाकिस्तान बलूच सेना को लेकर अमेरिका से फिर से समर्थन की मांग करेगा। हालांकि फिलहाल अमेरिका का रुख साफ है सबूतों के बिना BLA को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित नहीं किया जा सकता।
बलूच लिबरेशन आर्मी को लेकर अमेरिका की नीति में अचानक आया बदलाव कई सवाल खड़े करता है। क्या यह भारत के साथ बढ़ते संबंधों का असर है, या फिर अमेरिकी कूटनीति का हिस्सा? एक बात साफ है कि पाकिस्तान और चीन की संयुक्त रणनीति को फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन नहीं मिला।
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