Dr. Arunesh Neeran Passes Away:भोजपुरी भाषा और साहित्य को वैश्विक पहचान दिलाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अरुणेश नीरन का मंगलवार की रात 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने रात करीब 10:15 बजे गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित थे।उनके निधन की खबर से भोजपुरी और हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। साहित्य प्रेमियों, विद्वानों और भाषा प्रेमियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी साहित्यिक यात्रा को याद किया।
Read more :Himachal Disaster:हिमाचल में बारिश बनी आफत..अब तक 106 मौतें, 1000 करोड़ से अधिक का नुकसान
भोजपुरी को विश्व मंच पर दिलाई पहचान
देवरिया शहर के देवरिया खास मोहल्ला निवासी डॉ. नीरन ने भोजपुरी भाषा को साहित्य के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रतिष्ठित किया। उन्होंने भोजपुरी को सिर्फ बोलचाल की भाषा नहीं रहने दिया, बल्कि उसे साहित्य, विचार और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनाया।उनकी रचनाएं केवल साहित्यिक मूल्य ही नहीं रखतीं, बल्कि उन्होंने भोजपुरी संस्कृति, लोकजीवन और सामाजिक यथार्थ को भी अपने लेखन में जगह दी।
साहित्य में अपार योगदान
डॉ. नीरन ने दर्जनों पुस्तकों की रचना की थी, जिनमें कविता संग्रह, आलोचना, निबंध और भोजपुरी भाषा के अध्ययन से संबंधित ग्रंथ शामिल हैं। उनके साहित्यिक योगदान ने भोजपुरी को एक समृद्ध और सशक्त साहित्यिक परंपरा के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।वे विश्व भोजपुरी सम्मेलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाते थे। वे इन आयोजनों के माध्यम से भोजपुरी भाषा को एकजुटता, पहचान और सम्मान दिलाने की दिशा में हमेशा प्रयासरत रहे।
Read more :Monsoon: मानसून का कहर, अब तक 106 लोगों की मौत..दिल्ली-NCR समेत इन राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट
साहित्य समाज में गहरा शोक
डॉ. अरुणेश नीरन के निधन की खबर मिलते ही साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठनों में शोक की लहर दौड़ गई। कई साहित्यकारों ने इसे भोजपुरी साहित्य की अपूरणीय क्षति बताया। उनके सहयोगियों और शिष्यों ने उन्हें सादगी, विद्वता और समर्पण का प्रतीक बताया।देवरिया सहित गोरखपुर, वाराणसी, पटना, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से साहित्य प्रेमियों ने सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से शोक जताया।