Dr. Rajendra Prasad Jayanti 2025: क्यों छोड़ दिया था भारत के पहले राष्ट्रपति ने अपना वेतन?

Dr. Rajendra Prasad Jayanti 2025: भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी सादगी, विनम्रता और देशभक्ति के लिए याद किया जाता है।

Neha Mishra
क्यों छोड़ दिया था भारत के पहले राष्ट्रपति ने अपना वेतन?
क्यों छोड़ दिया था भारत के पहले राष्ट्रपति ने अपना वेतन?

Dr. Rajendra Prasad Jayanti 2025: भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी सादगी, विनम्रता और देशहित के प्रति समर्पण के लिए याद किया जाता है। वह केवल एक नेता ही नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके आचरण ने पूरे राष्ट्र को प्रेरित किया। संविधान सभा के अध्यक्ष रहने के बाद वह स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने और उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। आज उनकी 141वीं जयंती के अवसर पर उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को जानना बेहद महत्वपूर्ण है।

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सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति रहने का रिकॉर्ड

आपको बता दें कि, बहुत ही कम लोग इस बात को जानते हैं कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति बने रहने का रिकॉर्ड रखते हैं। उन्होंने 1950 में देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और लगातार 12 वर्षों तक, यानी 1962 तक, इस पद पर बने रहे। इस अवधि में उन्होंने देश को स्थिरता और मार्गदर्शन दिया, जो एक नवजात राष्ट्र के लिए बेहद आवश्यक था।

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राष्ट्रपति भवन से दूरी

क्यों छोड़ दिया था भारत के पहले राष्ट्रपति ने अपना वेतन?
क्यों छोड़ दिया था भारत के पहले राष्ट्रपति ने अपना वेतन?

डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जीवनशैली हमेशा सरल और सहज रही। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वह अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे। उन्होंने ब्रिटिश काल में निर्मित वायसराय हाउस, जिसे आज राष्ट्रपति भवन कहा जाता है, में रहने का विशेष आकर्षण महसूस नहीं किया। इसके बजाय वे सीमित आवश्यकताओं के साथ सादगी से जीवन जीते रहे। राष्ट्रपति भवन में होने वाले आयोजनों में भी वह दिखावे और खर्च को कम करने पर जोर देते थे। उनका मानना था कि राष्ट्र के प्रतिनिधियों को फिजूलखर्ची से दूर रहकर उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।

वेतन का बड़ा हिस्सा छोड़ने का निर्णय

डॉ. राजेंद्र प्रसाद की निष्ठा और त्याग का सबसे बड़ा उदाहरण उनका वेतन छोड़ने का निर्णय है। राष्ट्रपति बनने पर उनका वेतन 10,000 रुपये प्रतिमाह था, पर उन्होंने इसे अत्यधिक मानते हुए अपनी सचिव से कहा कि वह केवल उतना वेतन लेंगे, जितना राष्ट्रपति भवन में कार्यरत एक सामान्य कर्मचारी को मिलता है। इसके बाद उन्होंने अपना वेतन घटाकर 2,500 रुपये कर दिया।

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व्यक्तित्व और योगदान

डॉ. राजेंद्र प्रसाद न सिर्फ एक महान नेता थे, बल्कि भारतीय संस्कृति, मूल्यों और विनम्रता के प्रतीक भी थे। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि ऊँचे पद और सत्ता के बावजूद भी विनम्रता और त्याग का भाव बनाए रखा जा सकता है। अपने कर्म और विचारों से उन्होंने भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सुनहरे अध्याय लिखे।

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