DRDO Fighter Jet Test: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। मंगलवार, 2 दिसंबर 2025 को चंडीगढ़ में DRDO ने स्वदेशी निर्मित फाइटर जेट इजेक्शन सीट का सफल परीक्षण किया। यह तकनीक पायलट की जान बचाने में अहम भूमिका निभाती है, खासकर तब जब विमान तकनीकी खराबी या क्रैश की स्थिति में होता है। इस टेस्ट के साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जो हाई-स्पीड डायनामिक इजेक्शन सिस्टम का परीक्षण करने में सक्षम हैं।
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हाई-स्पीड टेस्ट और तकनीकी प्रक्रिया
चंडीगढ़ स्थित DRDO की टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) ने इस स्वदेशी एस्केप सिस्टम का 800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर परीक्षण किया। इस परीक्षण में कैनोपी सेवरेंस, इजेक्शन अनुक्रमण और पूर्ण एयरक्रू रिकवरी जैसी तकनीकी प्रक्रियाओं का सत्यापन किया गया। यह सुनिश्चित करता है कि वास्तविक उड़ान में पायलट सुरक्षित रूप से विमान से बाहर निकल सके।
DRDO ने परीक्षण को ऑनबोर्ड और ग्राउंड-आधारित इमेजिंग सिस्टम के माध्यम से रिकॉर्ड किया। भारतीय वायु सेना (IAF) और इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन एंड सर्टिफिकेशन के अधिकारी इस परीक्षण के गवाह बने। दुनिया के केवल कुछ ही देश, जैसे अमेरिका, रूस और फ्रांस, ही इतनी तेज गति पर डायनामिक इजेक्शन टेस्ट करने में सक्षम हैं। अब भारत भी इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल हो गया है।
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स्वदेशी रक्षा क्षमता में मील का पत्थर
इस सफल परीक्षण से यह स्पष्ट हुआ कि भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक अब उच्च स्तरीय और आत्मनिर्भर बन चुकी है। DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत ने इस उपलब्धि पर पूरी टीम को बधाई दी और कहा कि यह सफलता तेजस और आने वाले AMCA जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि अब पायलटों की सुरक्षा और उड़ान की विश्वसनीयता में वृद्धि होगी।
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रक्षा मंत्री ने जताई प्रशंसा
Defence Research and Development Organization (DRDO) has successfully conducted a high-speed rocket-sled test of fighter aircraft escape system at precisely controlled velocity of 800 km/h- validating canopy severance, ejection sequencing and complete aircrew-recovery at Rail… pic.twitter.com/G19PJOV6yD
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) December 2, 2025
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उच्च-स्पीड रॉकेट स्लेज परीक्षण की सफलता पर DRDO, भारतीय वायुसेना, एडीए, HAL और रक्षा उद्योग जगत को बधाई दी। उन्होंने इसे भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता और स्वदेशी तकनीक की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर करार दिया। इस तकनीक के सफल परीक्षण से भारत की सुरक्षा और उच्च तकनीकी उड़ान संचालन में आत्मविश्वास बढ़ेगा।
