DRDO ने पहली बार LRLACM मिसाइल का किया सफल परीक्षण, भारत के निशाने पर होंगे चीन और पाकिस्तान!

एलआरएलएसीएम परियोजना को रक्षा अधिग्रहण परिषद से स्वीकृति मिली हुई है और यह मिशन मोड प्रोजेक्ट के तहत कार्यरत है। यह क्रूज मिसाइल जमीन से मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर और अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों से यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल सिस्टम के माध्यम से लॉन्च करने के लिए तैयार की गई है।

Akanksha Dikshit
DRDO

Odisha News: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भारत के स्वदेशी क्रूज मिसाइल विकास में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। आज ओडिशा के चांदीपुर में स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर का उपयोग करते हुए लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (LRLACM) का पहला सफल उड़ान परीक्षण किया गया। इस परीक्षण में मिसाइल ने अपने प्राथमिक मिशन उद्देश्यों को बखूबी पूरा किया, जिससे स्वदेशी मिसाइल विकास की दिशा में भारत का आत्मनिर्भरता का सफर और मजबूत हो गया है।

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आधुनिक तकनीक से लैस LRLACM ने दिया श्रेष्ठ प्रदर्शन

डीआरडीओ के अधिकारियों के अनुसार, इस उड़ान परीक्षण के दौरान एलआरएलएसीएम ने अपने सभी उप-प्रणालियों का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। इसके प्रदर्शन को रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (ईओटीएस), और टेलीमेट्री जैसे रेंज सेंसर द्वारा निगरानी में रखा गया, जिन्हें आईटीआर के विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया था। इस दौरान मिसाइल ने कई ऊंचाइयों और गति स्तरों पर उड़ान भरते हुए मार्ग परिवर्तन की क्षमता दिखाई, जो इसके उन्नत सॉफ़्टवेयर और एवियोनिक्स सिस्टम की प्रभावशाली क्षमता को दर्शाता है।

निर्धारित मार्ग पर बखूबी किया मार्ग परिवर्तन

इस परीक्षण के दौरान एलआरएलएसीएम ने कई मोड़ों और ऊंचाइयों पर बेहतरीन नियंत्रण और सटीकता का प्रदर्शन किया। परीक्षण में मिसाइल ने अपनी क्षमता साबित करते हुए निर्धारित मार्ग का अनुसरण किया। इसके अलावा, इसमें लगाए गए उन्नत एवियोनिक्स और सॉफ़्टवेयर ने इसके प्रदर्शन को और अधिक सटीक और भरोसेमंद बना दिया है।

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स्वदेशी तकनीक पर आधारित है LRLACM

एलआरएलएसीएम परियोजना को रक्षा अधिग्रहण परिषद से स्वीकृति मिली हुई है और यह मिशन मोड प्रोजेक्ट के तहत कार्यरत है। यह क्रूज मिसाइल जमीन से मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर और अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों से यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल सिस्टम के माध्यम से लॉन्च करने के लिए तैयार की गई है। इसे विशेष रूप से भारतीय रक्षा आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (बंगलुरू) द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योगों का भी सहयोग है। भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (हैदराबाद) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बेंगलुरु) ने इसके विकास और उत्पादन में योगदान दिया है।

रक्षा मंत्री ने की डीआरडीओ की सराहना

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और इस परियोजना में शामिल भारतीय उद्योगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एलआरएलएसीएम का यह सफल परीक्षण भारत के भविष्य के स्वदेशी क्रूज मिसाइल कार्यक्रमों के लिए एक नया मार्ग खोलता है और हमारे रक्षा क्षेत्र की स्वदेशी क्षमताओं को और बढ़ाता है।

डीआरडीओ के अध्यक्ष ने जताई संतुष्टि

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने इस सफल उड़ान परीक्षण पर पूरी डीआरडीओ टीम की सराहना की। उन्होंने इसे डीआरडीओ की टीम की कठिन परिश्रम का परिणाम बताया और कहा कि एलआरएलएसीएम का यह परीक्षण भारत के स्वदेशी रक्षा विकास में एक ऐतिहासिक कदम है।

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तीनों सेनाओं के प्रतिनिधियों ने भी देखी मिसाइल की शक्ति

परीक्षण के दौरान डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ भारतीय सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। उनकी उपस्थिति इस परीक्षण की अहमियत को और बढ़ा देती है। एलआरएलएसीएम का यह पहला सफल उड़ान परीक्षण भारत की रक्षा तैयारियों में एक नई क्षमता जोड़ता है, जो देश की सुरक्षा को और अधिक सशक्त बनाएगा।

मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की दिशा में भारत एक और कदम

डीआरडीओ द्वारा किए गए इस सफल परीक्षण से भारत का रक्षा क्षेत्र और अधिक आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। यह न केवल भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि अन्य देशों के सामने भी आत्मनिर्भरता का संदेश देगा। एलआरएलएसीएम का यह परीक्षण भारतीय रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो भविष्य में भारतीय सेनाओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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