Durga Puja 2025: भारत के पूर्वी राज्यों में बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाने वाला दुर्गा पूजा पर्व 27 सितंबर यानी पंचमी तिथि के साथ प्रारंभ होगा। नवरात्रि की शुरुआत आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है, लेकिन बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में दुर्गा पूजा की शुरुआत पंचमी तिथि से मानी जाती है। नवरात्र जहां 9 दिनों का पर्व होता है, वहीं दुर्गा पूजा मुख्य रूप से 5 दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जिसमें पंचमी से लेकर दशमी तक देवी दुर्गा के विविध रूपों की पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।
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पंचमी से दशमी तक का आयोजन

पंचमी तिथि (27 सितंबर) – इस दिन पूजा की औपचारिक शुरुआत होती है और पंडालों में देवी के आगमन की तैयारी पूरी हो जाती है।
षष्ठी तिथि (28 सितंबर) – इस दिन कल्पारम्भ, आमंत्रण, अधिवास और अकाल बोधन जैसे अनुष्ठान होते हैं।
सप्तमी तिथि (29 सितंबर) – इस दिन कोलाबौ पूजा का आयोजन होता है, जहां एक पौधे को देवी का स्वरूप मानकर स्नान कराकर पूजा की जाती है।
अष्टमी तिथि (30 सितंबर) – दुर्गा अष्टमी का विशेष महत्व है। इस दिन संधि पूजा का आयोजन किया जाता है, जो अत्यंत शुभ और शक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
नवमी तिथि (1 अक्टूबर) – माता दुर्गा की महानवमी पूजा होती है, जिसमें विशेष होम (हवन) किया जाता है। कई श्रद्धालु इस दिन व्रत भी रखते हैं।
दशमी तिथि (2 अक्टूबर) – विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला और दुर्गा विसर्जन का आयोजन होता है। इस दिन देवी को विदाई दी जाती है।
सिंदूर खेला
2 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी के दिन महिलाएं खास तौर पर सिंदूर खेला का आयोजन करती हैं। सुहागिन स्त्रियां माता दुर्गा के चरणों में सिंदूर चढ़ाती हैं और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सौभाग्य की कामना करती हैं। यह परंपरा बंगाल में विशेष रूप से लोकप्रिय है और देवी दुर्गा को सम्मान और विदाई देने का प्रतीक मानी जाती है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
