Dussehra 2025: बिहार में धूमधाम से मनाया गया विजय पर्व, बारिश के बीच भी रावण दहन का जोश बरकरार

Chandan Das
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Dussehra 2025: देशभर की तरह बिहार में भी विजयदशमी (दशहरा) का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। राज्य के कई जिलों में तेज बारिश के बावजूद रावण दहन कार्यक्रमों में लोगों का उत्साह देखने लायक रहा। रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया गया।

पटना में बारिश के बीच रावण वध

राजधानी पटना के गांधी मैदान में इस बार 80 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया, जो बिहार का सबसे ऊंचा पुतला रहा। हालांकि, राम के मंच पर पहुंचने से पहले ही तेज बारिश के कारण रावण का सिर टूट गया। इसके बावजूद बिना सिर वाले रावण का ही प्रतीकात्मक वध किया गया।

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी शामिल हुए। हजारों की संख्या में लोग मैदान में मौजूद रहे, जिन्होंने आतिशबाज़ी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद उठाया।

छपरा-बक्सर में समय से पहले दहन

छपरा और बक्सर जिलों में मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार बारिश की आशंका को देखते हुए समय से पहले रावण दहन कर दिया गया। छपरा में 55 फीट ऊंचे रावण का वध किया गया। वहीं बक्सर में भी परंपरा के अनुसार रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किया गया।

गया और समस्तीपुर में भी रावण वध

गया (गयाजी) में भी रावण वध कार्यक्रम पूरी भव्यता के साथ संपन्न हुआ। वहीं, समस्तीपुर के हाउसिंग बोर्ड मैदान में रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया गया। इस बार यहां 70 फीट का रावण, 45 फीट का मेघनाथ और 40 फीट का कुंभकरण तैयार किया गया था। तीनों पुतलों का क्रमवार दहन किया गया।

औरंगाबाद में रावण दहन का आकर्षण

औरंगाबाद के गांधी मैदान में भी दशहरे का उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। यहां 55 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया। स्थानीय प्रशासन और आयोजकों ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सख्त निगरानी रखी थी।

बारिश नहीं रोक सकी आस्था और उत्सव

बिहार के करीब 12 जिलों में रावण दहन के समय तेज बारिश हुई, लेकिन लोगों की आस्था और उत्साह में कोई कमी नहीं आई। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने रावण दहन का कार्यक्रम देखा और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाया।

बारिश के बावजूद भी बिहार में दशहरा 2025 का पर्व पूरी भव्यता के साथ मनाया गया। पटना, छपरा, बक्सर, गया, समस्तीपुर और औरंगाबाद जैसे शहरों में रावण दहन कार्यक्रमों ने सामाजिक एकता, सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक परंपराओं को मजबूती दी। यह पर्व एक बार फिर यह संदेश देने में सफल रहा कि सत्य और धर्म की राह पर चलने वालों की सदैव विजय होती है।

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