DUSU Election Results: दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (DUSU) चुनाव 2025 के नतीजों का सभी को बेसब्री से इंतजार है। गुरुवार को हुए मतदान के बाद अब शुक्रवार, 19 सितंबर को वोटों की गिनती की जा रही है, जिसमें यह तय होगा कि चार अहम पदों – अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव – पर किस उम्मीदवार और छात्र संगठन का कब्जा होगा।इस बार चुनाव में कुल 21 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन असली मुकाबला दो प्रमुख छात्र संगठनों – ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) और NSUI (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) के बीच माना जा रहा है।
दिल्ली की छात्र राजनीति में DUSU चुनाव का बड़ा महत्व
DUSU चुनाव केवल यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसका असर राष्ट्रीय छात्र राजनीति तक महसूस किया जाता है। यही कारण है कि हर साल दिल्ली यूनिवर्सिटी के डूसू चुनाव में सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की छात्र इकाइयाँ सक्रिय होती हैं।इस साल चुनाव में लगभग 2.75 लाख छात्र मतदाता सूची में शामिल थे, जिनमें से करीब 39.45% छात्रों ने मतदान किया। यह वोटिंग प्रतिशत पिछले वर्षों की तुलना में संतोषजनक माना जा रहा है।
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शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक हुआ मतदान
गुरुवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों और विभागों में मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। सभी कॉलेजों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और चुनाव आयोग की निगरानी में मतदान कराया गया।केंद्रीय पैनल के चार पदों के लिए हुए मतदान में छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यूनिवर्सिटी प्रशासन और चुनाव संचालन समिति ने इसे सफल चुनाव करार दिया है।
मुख्य मुकाबला ABVP और NSUI के बीच
हालांकि मैदान में 21 उम्मीदवार हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला ABVP और NSUI के बीच है।ABVP, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ी है, पिछले कई वर्षों से DUSU में मजबूत पकड़ बनाए हुए है।वहीं, NSUI, कांग्रेस पार्टी की छात्र इकाई, इस बार कड़ी टक्कर देने की कोशिश कर रही है।इन दोनों के अलावा कुछ स्वतंत्र और अन्य छात्र संगठन, जैसे कि AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन), SFI (स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) आदि भी मैदान में हैं, लेकिन उन्हें सीमित सीटों पर ही असर दिखाने की संभावना है।
क्या कहती है वोटिंग की दिशा?
अब सबकी निगाहें वोटों की गिनती पर हैं। दोपहर तक शुरुआती रुझान आने की उम्मीद है और शाम तक पूरा रिजल्ट घोषित कर दिया जाएगा। इस बार छात्रों के मुद्दे – जैसे कि यूनिवर्सिटी में सुविधाओं की कमी, रोजगार की संभावनाएं, कैंपस की सुरक्षा और महिला छात्राओं की सुरक्षा – चुनाव प्रचार में प्रमुख रहे।
