Eid 2025 Namaz Controversy:उत्तर प्रदेश में ईद-उल-फित्र 2025 के मौके पर कई जगहों पर ईदगाहों में नमाज अदा करने को लेकर हंगामा हो गया। विशेष रूप से मेरठ, मुरादाबाद और सहारनपुर में पुलिस और नमाजियों के बीच झड़पें हुईं। इन घटनाओं ने धार्मिक आस्थाओं और प्रशासनिक कड़े रवैये के बीच तनाव को जन्म दिया। सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर पुलिस ने रोक लगाई, जिसके बाद कई जगहों पर लोगों और पुलिस के बीच नोकझोंक हुई।
Read more: Chaitra Ram Navami: श्री रामचरितमानस के अखंड पाठ से गुंजायमान होगा पूरा प्रदेश, CM योगी के निर्देश
मेरठ में पुलिस से झड़प
मेरठ में शाही ईदगाह में जब नमाजियों की भारी भीड़ जमा हुई, तो पुलिस ने सड़क पर नमाज अदा करने से रोकने के लिए हस्तक्षेप किया। इस पर लोग नाराज हो गए और पुलिस से बहस करने लगे। स्थानीय प्रशासन ने नमाजियों से अनुरोध किया कि वे ईदगाह में ही नमाज अदा करें, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण हो गई। अंततः पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मजबूरन ज्यादा कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी।
मुरादाबाद और सहारनपुर में भी तनाव

मुरादाबाद और सहारनपुर में भी स्थिति गड़बड़ाई। मुरादाबाद में भी ईदगाह में नमाज पढ़ने के दौरान पुलिस और नमाजियों के बीच झड़प हुई। वहीं, सहारनपुर में ईद की नमाज के बाद कुछ नमाजियों ने फिलिस्तीन का झंडा लहराया और हाथों में काली पट्टी बांध रखी थी। यह घटना राजनीतिक और धार्मिक विवादों को और बढ़ावा देने का कारण बन गई।
अखिलेश यादव का BJP सरकार पर हमला

लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह पहुंचे समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इन घटनाओं को लेकर बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी इस तरह की बैरिकेडिंग नहीं देखी। पुलिस ने उन्हें ईदगाह में जाने से रोकने की कोशिश की, जिससे उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अखिलेश यादव ने इसे तानाशाही की मिसाल बताते हुए कहा कि किसी दूसरे धर्म के त्योहार में हिस्सा लेने पर इस तरह के रोक-टोक अस्वीकार्य हैं।
Read more: Muzaffarnagar Murder Case: पत्नी की हैवानियत! पति को कॉफी में जहर पिलाकर जान से मारने की कोशिश..
राजनीतिक और धार्मिक विवादों के बीच प्रशासन की चुनौती
इन घटनाओं से यह साफ जाहिर होता है कि उत्तर प्रदेश में धार्मिक त्यौहारों के दौरान प्रशासन की भूमिका और उसके कड़े रवैये पर सवाल उठने लगे हैं। जहां एक ओर पुलिस का तर्क है कि यह व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है, वहीं दूसरी ओर धार्मिक आस्थाएं इसे भेदभाव के रूप में देख रही हैं। इन घटनाओं ने यूपी में धार्मिक तनाव को एक बार फिर से उभारा है, जिससे प्रशासन और पुलिस को इन स्थितियों से निपटने के लिए और अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।