Delhi Imposes Vehicle Entry Ban From 1 November: दिल्ली में 1 नवंबर से पुराने वाहनों की एंट्री पर रोक, निगरानी के लिए तैनात होंगी 48 टीमें

दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 1 नवंबर से पुराने और गैर-BS-6 वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। नियमों के पालन की निगरानी के लिए 48 टीमें तैनात की गई हैं, जो उल्लंघन करने वाले वाहनों पर जुर्माना लगाएंगी।

Nivedita Kasaudhan
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Delhi Imposes Vehicle Entry Ban From 1 November : दिल्ली में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। अब 1 नवंबर से दिल्ली में ऐसे सभी बाहरी वाहन जिनमें BS-6 मानक नहीं है, उन्हें राजधानी में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसमें पुराने लाइट गुड व्हीकल्स (LGV), मीडियम गुड व्हीकल्स (MGV) और हैवी गुड व्हीकल्स (HGV) शामिल हैं। इन वाहनों पर सख्त प्रतिबंध लागू रहेगा ताकि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके।

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2026 से सिर्फ इलेक्ट्रिक मालवाहक वाहन होंगे मान्य

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वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देशों के तहत दिल्ली परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि केवल BS-6 मानक वाले वाणिज्यिक मालवाहक वाहन ही 31 अक्टूबर 2026 तक दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगे। इसके बाद इन पर भी रोक लगा दी जाएगी और राजधानी में केवल इलेक्ट्रिक मालवाहक वाहन ही चल पाएंगे। यानी पेट्रोल और डीजल से चलने वाले मालवाहक वाहनों का दिल्ली में संचालन पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा।

इसके अलावा, GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तहत जब भी प्रदूषण नियंत्रण के चरण लागू होंगे, मालवाहक वाहनों पर लगाए गए प्रतिबंध उसी तरह जारी रहेंगे। यह कदम दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है।

दिल्ली की सीमाओं पर सख्त निगरानी व्यवस्था

दिल्ली सरकार ने इस प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए 126 एंट्री पॉइंट्स पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान कैमरे (ANPR) लगाने का निर्णय लिया है। इन कैमरों की मदद से प्रतिबंधित वाहनों की पहचान की जाएगी और उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने से रोका जाएगा।

इसके अलावा, 48 विशेष निगरानी टीमें गठित की गई हैं जो दिल्ली की सीमाओं पर तैनात रहेंगी। ये टीमें नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर कार्रवाई करेंगी और सुनिश्चित करेंगी कि कोई भी प्रतिबंधित वाहन राजधानी में प्रवेश न कर सके।

CAQM के आदेश के अनुसार, सभी संबंधित एजेंसियों को हर तीन महीने में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी जिसमें यह बताया जाएगा कि नियमों का पालन किस तरह से किया जा रहा है और कितने वाहनों पर कार्रवाई की गई है।

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