Etawah Katha Vachak Case: इटावा में कथावाचक के साथ मारपीट और जबरन सिर मुंडवाने की घटना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सुभासपा अध्यक्ष और प्रदेश सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने एक बयान दिया, जो अब चर्चा का विषय बन गया है। मंत्री राजभर ने कहा कि शादी और पूजा-पाठ कराने का काम ब्राह्मणों का होता है, और यदि कोई अन्य जाति विशेष, खासकर यादव समाज का व्यक्ति इस कार्य में हस्तक्षेप करता है, तो “दिक्कत तो होगी ही।”
“जातीय भूमिकाएं तय हैं, उसी में रहना चाहिए” – मंत्री राजभर
गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि समाज में हर वर्ग की एक परंपरागत भूमिका होती है, जिसे बदलने की कोशिश में टकराव की स्थिति बनती है। उन्होंने कहा कि “शादी कराना, संस्कार कराना, पूजा-पाठ कराना – ये सब कार्य ब्राह्मण समाज के जिम्मे हैं। यदि कोई यादव बिरादरी का व्यक्ति इन कार्यों को करने लगेगा तो स्वाभाविक रूप से विरोध होगा।”हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि इटावा जैसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए और किसी के साथ हिंसा करना गलत है, लेकिन अपने बयान से उन्होंने एक गंभीर सामाजिक बहस को जन्म दे दिया है।
कथावाचक पर आरोप
इस विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब इटावा में एक कथावाचक, जो यादव समाज से बताया जा रहा है, की भीड़ ने पिटाई की और उसका सिर जबरन मुंडवा दिया। आरोप था कि वह फर्जी आधार कार्ड के माध्यम से धार्मिक कार्य कर रहा था और समाज को गुमराह कर रहा था। कथावाचक के पास दो आधार कार्ड मिलने का दावा किया गया है, जिसके आधार पर फर्जीवाड़े का शक जताया गया।मंत्री राजभर ने इस पहलू को भी उठाया और कहा कि “फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दूसरों का हक छीनने का चलन बढ़ता जा रहा है, जिसे रोका जाना जरूरी है।”
विपक्ष और सामाजिक संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया
मंत्री के इस बयान पर कई विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि इस तरह के बयान जातिगत विभाजन को बढ़ावा देते हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध हैं। सोशल मीडिया पर भी इस बयान को लेकर बहस छिड़ गई है, जहां कई लोगों ने इसे संविधान के खिलाफ और सामाजिक समानता के सिद्धांत को ठेस पहुंचाने वाला बताया।