Exam Update CBSE: शिक्षा मंत्रालय का प्रस्ताव, अब साल में दो बार होगी परीक्षाएं, जाने पूरी अपडेट

बोर्ड का यह कदम छात्रों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि बोर्ड परीक्षा को साल में दो बार आयोजित करने से छात्रों को एक साथ दो अवसर मिलेंगे, जिससे उनकी चिंता और तनाव कम हो सकता है।

Shilpi Jaiswal

शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के साथ मिलकर यह विचार किया है कि अगले वर्ष से बोर्ड की परीक्षाएं साल में एक बार नहीं दो बार आयोजित कराई जाएगी। इस सुझाव के पीछे छात्रों की मानसिक स्थिति और उनकी शैक्षिक यात्रा को और अधिक आसान बनाने का उद्देश्य है। इस पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि जल्द ही इस योजना को सार्वजनिक राय के लिए सीबीएसई की वेबसाइट पर डाला जाएगा, ताकि लोग अपनी राय व्यक्त कर सकें।

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छात्रों की चिंता और तनाव कम

बोर्ड का यह कदम छात्रों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि बोर्ड परीक्षा को साल में दो बार आयोजित करने से छात्रों को एक साथ दो अवसर मिलेंगे, जिससे उनकी चिंता और तनाव कम हो सकता है। अगर किसी कारणवश, पहले प्रयास में छात्र अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते, तो उन्हें अगले प्रयास में अपने नंबर सुधारने का मौका मिलेगा। इस प्रकार, छात्रों को अपनी कमियों को पहचानने और उन्हें ठीक करने का पर्याप्त समय मिलेगा। विशेष रूप से, महामारी के बाद के समय में जो मानसिक दबाव और अनिश्चितता विद्यार्थियों पर बनी रही, ऐसे में यह कदम एक राहत का संकेत हो सकता है।

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छात्रों को बेहतर तैयारी का अवसर

आपको बता दे, साल में दो बार परीक्षा होने का एक और लाभ यह होगा कि छात्रों को बेहतर तैयारी का अवसर मिलेगा। वे एक बार परीक्षा देकर अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन कर सकते हैं और अगली परीक्षा में सुधार करने के लिए रणनीति बना सकते हैं। इसके अलावा, यह बदलाव छात्रों को अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने का भी अवसर दे सकता है, क्योंकि वे जान सकते हैं कि उन्हें एक से अधिक बार परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा, जो उनके मानसिक दबाव को कम कर सकता है।

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शारीरिक और मानसिक स्थिति पर असर

इस योजना के कुछ नकारात्मक पहलू भी हो सकते हैं। सबसे पहले, छात्रों के पास दो बार परीक्षा देने का विकल्प होने से उनका समय और ऊर्जा अधिक खर्च हो सकती है। यदि कोई छात्र दोनों परीक्षाओं में बैठता है, तो उसे लगातार पढ़ाई करने का दबाव रहेगा, जिससे उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, सभी छात्रों के पास दोनों परीक्षाएं देने का समय और संसाधन नहीं हो सकते, जिससे यह कदम कुछ छात्रों के लिए असुविधाजनक हो सकता है।

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