Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आधिकारिक फेसबुक अकाउंट शुक्रवार शाम अचानक ब्लॉक कर दिया गया, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई। इस घटना के बाद सपा ने इसे केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार की साजिश करार दिया, जबकि सरकारी सूत्रों ने कहा कि यह कार्रवाई फेसबुक की ओर से की गई है और सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
फेसबुक ने किया पेज ब्लॉक
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव का फेसबुक पेज, जिसके 80 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं, शुक्रवार शाम करीब 6 बजे ब्लॉक कर दिया गया। फेसबुक ने यह कदम कथित ‘हिंसक और अश्लील पोस्ट’ को लेकर उठाया और बताया कि यह प्लेटफॉर्म की अपनी नीतियों के तहत किया गया है। अखिलेश यादव का यह पेज अक्सर सरकार की नीतियों की आलोचना करने, पार्टी कार्यकर्ताओं से जुड़ने और सपा के कार्यक्रमों की जानकारी साझा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए पेज ब्लॉक होने से राजनीतिक चर्चा और विरोधी प्रतिक्रियाएं तेज हो गईं।
सपा नेताओं की कड़ी प्रतिक्रिया
आपको बता दे कि, घटना के बाद सपा नेताओं ने केंद्र सरकार पर तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा, “देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का फेसबुक अकाउंट सस्पेंड करना लोकतंत्र पर हमला है। भाजपा सरकार ने अघोषित इमरजेंसी लागू कर दी है, जहां हर विरोधी आवाज को दबाया जा रहा है। लेकिन समाजवादी पार्टी जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगी।”
फेसबुक ने किया अकाउंट बहाल
वहीं, शनिवार सुबह फेसबुक ने अखिलेश यादव का पेज अनब्लॉक कर दिया। जानकारी के अनुसार, अकाउंट ब्लॉक होने के बाद सपा की आईटी टीम ने तुरंत मेटा को ईमेल भेजकर मामले की जानकारी दी और फेसबुक इंडिया टीम से संपर्क किया। अकाउंट एक्टिव होते ही अखिलेश यादव के सभी पोस्ट और वीडियो फिर से दिखाई देने लगे।
राजनीतिक हलचल और सोशल मीडिया पर चर्चा
अखिलेश यादव का पेज ब्लॉक और अनब्लॉक होना राजनीतिक हलचल का विषय बना। सोशल मीडिया पर पार्टी समर्थकों और राजनीतिक विश्लेषकों ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रियाएं दी। वहीं सपा ने इसे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया। फेसबुक की ओर से पेज ब्लॉक करने की कार्रवाई और तुरंत अनब्लॉक करना इस घटना को राजनीतिक और मीडिया जगत में चर्चा का प्रमुख विषय बना गया। इससे यह साफ हुआ कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक नेताओं की गतिविधियां और सोशल मीडिया की स्वतंत्रता अब हर राजनीतिक दल के लिए संवेदनशील मुद्दा बन गई है।
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