Fifth day of Jagannath Rath Yatra 2025: आज मनाई जा रही हेरा पंचमी, जानें क्या है देवी लक्ष्मी के रुठने मनाने की विशेष परंपरा

इस भव्य रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर पहुंच चुके हैं।

Nivedita Kasaudhan
Jagannath Rath Yatra 2025
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Fifth day of Jagannath Rath Yatra 2025: सनातन धर्म की सभी यात्राओं में सबसे महत्वपूर्ण यात्रा महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा है जो कि इस बार 27 जून से आरंभ हो चुकी है। बता दें कि इस भव्य रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर पहुंच चुके हैं।

रथयात्रा के पांचवें दिन यहां हेरा पंचमी की विशेष परंपरा निभाई जाती है जो कि बेहद ही रोचक होती है। इस पंरपरा के अंतर्गत माता लक्ष्मी नाराज़ होकर भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया तोड़ देती है फिर भगवान उन्हें मनाते हैं, तो हम आपको अपने इस लेख द्वारा हेरा पंचमी की रोचक परंपरा के बारे में बता रहे हैं।

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हेरा पंचमी की तारीख

Jagannath Rath Yatra 2025
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आपको बता दें कि इस बार हेरा पंचमी आज यानी 1 जुलाई दिन मंगलवार को मनाई जा रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार जब भगवान जगन्नाथ माता लक्ष्मी को बिना बताए अपने भाई बहन के साथ अपनी मौसी के घर चले जाते हैं, जिसे देखकर माता बेहद नाराज़ हो जाती है और वे उन्हें ढूंढते हुए गुंडिचा मंदिर जाती है। क्रोध में देवी भगवान जगन्नाथ के रथ का एक पहिया तोड़ देती है और हेरा गोहिरी साही में बने अपने मंदिर में फिर से लौट जाती हैं।

भगवान कैसे मनाते हैं माता लक्ष्मी को?

जब भगवान जगन्नाथ को पता चलता है कि मां लक्ष्मी नाराज़ हो गई हैं तो वे उन्हें मनाने के लिए कई तरह की कीमती चीजें व मिठाईयां भेंट करते हैं इन मिठाइयों में रसगुल्ले विशेष रूप से होते हैं। भगवान द्वारा दिए गए उपहार व रसगुल्ला पाकर माता प्रसन्न हो जाते हैं मगर ये शर्त भी रखती हैं कि आगे से ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए। भगवान जगन्नाथ भी इनकी बात मान लेते हैं। इसी परंपरा को हेरा पंचमी के नाम से जाना जाता है।

जानें क्यों मनाया जाता है यह दिन

आपको बता दें कि इस साल जगन्नाथ रथयात्रा 27 जून से आरंभ हुई थी जो कि 5 जुलाई को वापस पहुंचेगी। इन आठ दिनों के भीतर भगवान विष्णु अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर में विश्राम करेंगे।

हेरा पंचमी की विशेष परंपरा इसी दौरान मनाई जाती है जो बताती है कि पति को गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए अपनी पत्नी को हर महत्वपूर्ण बात साझा करनी चाहिए और ऐसा न करने पर पत्नी को रूठने का पूरा अधिकार है। साथ ही ये परंपरा ये भी बताती है कि पति के मनाने पर पत्नी को भी क्रोध त्याग कर मान जाना चाहिए।

Jagannath Rath Yatra 2025
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