Assam Flood Landslide:पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों …असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा में भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। खासकर असम और अरुणाचल प्रदेश में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। वहीं बताया जा रहा हैं कि … बाढ़ और भूस्खलन की वजह से अब तक कम से कम 50 लोगों की जान जा चुकी है और करीब 1,500 गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। इसी के साथ बुधवार को कुछ क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता में मामूली कमी देखी गई, लेकिन कई हिस्सों में रातभर मूसलाधार बारिश जारी रही। इसका सीधा असर जनजीवन पर पड़ा है ,न सड़कों का पता है, न बिजली का, न ही सुरक्षित आश्रय का।
6.79 लाख लोग संकट में
- असम स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (ASDMA) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 21 जिलों में 6.79 लाख से अधिक लोग बाढ़ और बारिश से प्रभावित हैं। करीब 1,494 गांवों में जलभराव है, जबकि 14,977 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि डूब गई है।
- सबसे ज्यादा प्रभावित जिले:
- श्रीभूमि: 2,59,601 लोग प्रभावित
- हैलाकांडी: 1,72,439 लोग
- नगांव: 1,02,716 लोग
- 190 राहत शिविरों में लगभग 39,746 विस्थापितों को अस्थायी आश्रय दिया गया है।
अब तक मौतों की स्थिति
- असम: 19 मौतें
- अरुणाचल प्रदेश: 12
- मेघालय: 6
- मिजोरम: 5
- सिक्किम: 4
- त्रिपुरा: 2
- नागालैंड व मणिपुर: 1-1 मौत
- इस त्रासदी से पता चलता है कि प्राकृतिक आपदाएं अब एक क्षेत्रीय नहीं बल्कि एक सामूहिक आपातकाल बन चुकी हैं।
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नदी उफान पर, भारी बारिश का अलर्ट
राज्य की प्रमुख नदियाँ जैसे ब्रह्मपुत्र, बुरहिडीहिंग, कोपिली, बराक, सोनाई, रुकनी, धलेश्वरी, कटखल और कुशियारा अपने खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। गुवाहाटी के मौसम विज्ञान केंद्र (RMC) ने आज धुबरी, दक्षिण सलमारा-मनकाचर, ग्वालपारा और कोकराझार में भारी से बहुत भारी बारिश और 30-40 किमी/घंटे की रफ्तार से तेज हवाओं की चेतावनी जारी की है।
पुल बहा, गांवों से संपर्क कटा
अरुणाचल प्रदेश के डिबांग वैली जिले में स्थिति अत्यंत गंभीर हो चुकी है। यहां भारी बारिश से नदी में उफान आया और एक बड़ा पुल बह गया, जिससे कई गांवों का संपर्क मुख्यधारा से पूरी तरह टूट गया। प्रशासन ड्रोन और एयरड्रॉप के जरिए राहत सामग्री पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।
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त्वरित राहत
पूर्वोत्तर भारत इस समय भीषण प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करने, आपातकालीन फंड्स जारी करने, और स्थायी बाढ़ नियंत्रण व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है।ग्रामीण इलाकों में सड़कों की मरम्मत, राहत शिविरों की संख्या में इज़ाफा, और स्वास्थ्य सुविधाओं की आपूर्ति को प्राथमिकता देना इस समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।