John Kiriakou: पूर्व CIA अधिकारी का सनसनीखेज दावा , ‘जिहादियों के डर से Pervez Musharraf ने अमेरिका को सौंपा था परमाणु हथियार’

अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी CIA के एक पूर्व अधिकारी ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम और पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ को लेकर एक बेहद सनसनीखेज दावा किया है। पूर्व अधिकारी जॉन किरियाकोउ ने खुलासा किया है कि परवेज़ मुशर्रफ ने कथित तौर पर जिहादी समूहों के डर से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया था।

Chandan Das
Pervez Musharraf

John Kiriakou: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति Pervez Musharraf को अमेरिका ने करोड़ों डॉलर में खरीदा था ऐसा चौंकाने वाला दावा किया है पूर्व CIA अधिकारी जॉन किरियाकू (John Kiriakou) ने। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने न सिर्फ मुशर्रफ को भारी आर्थिक और सैन्य सहायता दी, बल्कि इसके बदले पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर भी अप्रत्यक्ष नियंत्रण हासिल कर लिया था। एक साक्षात्कार में किरियाकू ने कहा कि जब वे 2002 में पाकिस्तान में तैनात थे, तब उन्हें बताया गया था कि पेंटागन पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का नियंत्रण देखता है। उनके मुताबिक, “मुशर्रफ को डर था कि कहीं जिहादी ताकतें परमाणु हथियारों पर कब्जा न कर लें, इसलिए उन्होंने यह नियंत्रण अमेरिका के हाथों में सौंप दिया।”

‘मुशर्रफ को खरीदा गया था, ताकि अमेरिका को खुली छूट मिले’

जॉन किरियाकू ने दावा किया कि अमेरिका अक्सर तानाशाह शासकों के साथ काम करना पसंद करता है, क्योंकि वहां जनमत और मीडिया की जवाबदेही नहीं होती। उन्होंने कहा,“हमने मुशर्रफ को खरीदा था। हमने उन्हें लाखों डॉलर दिए सैन्य और वित्तीय सहायता के रूप में। बदले में उन्होंने हमें पाकिस्तान में जो चाहें करने की अनुमति दी।”

पूर्व CIA अधिकारी ने आगे कहा कि उस समय पाकिस्तान में अमेरिकी हस्तक्षेप इतना गहरा था कि परमाणु सुरक्षा और खुफिया ऑपरेशंस तक अमेरिकी निगरानी में हो गए थे।‘मुशर्रफ ने दोहरा खेल खेला अमेरिका के साथ भी, आतंकवादियों के साथ भी’किरियाकू ने यह भी कहा कि मुशर्रफ ‘डबल गेम’ खेल रहे थे। एक ओर वे आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के सहयोगी बने रहे, वहीं दूसरी ओर पाक सेना को भारत के खिलाफ जिहादी संगठनों को समर्थन देने की छूट दी।उन्होंने कहा, “पाक सेना को अल-कायदा की कोई परवाह नहीं थी। वे केवल भारत के खिलाफ साजिशों में व्यस्त थे। मुशर्रफ ने आतंकवाद विरोधी अभियान का दिखावा किया, जबकि अंदरखाने भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया।”

अमेरिका पर भी तीखा हमला

जॉन किरियाकू ने अपने ही देश पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अमेरिका खुद को लोकतंत्र और मानवाधिकारों का रक्षक बताता है, लेकिन वास्तविकता इसके उलट है।“हम वही करते थे जिससे हमें फायदा हो। लोकतंत्र और नैतिकता सिर्फ दिखावा था।”उन्होंने बताया कि अमेरिकी प्रशासन ने पाक परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बनाई थी, लेकिन सऊदी अरब के दबाव के कारण पीछे हट गया।

लादेन को महिला के वेश में भागने का मौका मिला

किरियाकू ने 9/11 के बाद के अभियानों पर भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के तोरा बोरा पहाड़ों में ओसामा बिन लादेन लगभग घिर चुका था, लेकिन महिला के भेष में वह अमेरिकी सेना को धोखा देकर निकल गया।उन्होंने कहा कि उस समय CIA और अमेरिकी सेना के बीच समन्वय की कमी के कारण इतिहास का सबसे बड़ा आतंकवादी हमारी आंखों के सामने से भाग निकला।पूर्व CIA अधिकारी के ये दावे पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों के गहरे रहस्यों को उजागर करते हैं। अगर किरियाकू के आरोप सही हैं, तो यह साफ है कि मुशर्रफ ने जिहादी खतरे के डर से देश की सैन्य और परमाणु स्वायत्तता अमेरिका को सौंप दी थी। इस खुलासे ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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