Gadkari Statement: विश्वगुरु बनने का रास्ता, गडकरी ने बताया भारत का आर्थिक विज़न

Chandan Das

Gadkari Statement: नागपुर के VNIT (विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) में आयोजित एक कार्यक्रम में शनिवार को केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भारत के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, “दुनिया झुकती है, बस झुकाने वाला चाहिए।” गडकरी का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिससे अब भारत पर कुल 50% आयात शुल्क लागू हो जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत की राह

गडकरी ने कहा कि आज की सबसे बड़ी राष्ट्रभक्ति यही होगी कि भारत आयात (इंपोर्ट) को कम करे और निर्यात (एक्सपोर्ट) को बढ़ाए। उन्होंने कहा कि यदि भारत को विश्वगुरु बनना है, तो आर्थिक मजबूती और तकनीकी आत्मनिर्भरता जरूरी है। “आज हम अनेक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। लेकिन समाधान सिर्फ एक है – साइंस, टेक्नोलॉजी और नॉलेज। इन्हीं के बल पर हम दुनिया के सामने झुकने के बजाय उसे अपनी शर्तों पर काम करने को मजबूर कर सकते हैं,” गडकरी ने कहा।

अमेरिका के टैरिफ फैसले पर अप्रत्यक्ष प्रतिक्रिया

हालांकि गडकरी ने अपने संबोधन में अमेरिका या ट्रंप का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका बयान स्पष्ट रूप से अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी के संदर्भ में देखा जा रहा है। ट्रंप ने तीन दिन पहले भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का निर्णय लिया था, जिसे कई अर्थशास्त्री भारत के लिए एक चुनौती मान रहे हैं। गडकरी ने वैश्विक शक्ति संतुलन पर टिप्पणी करते हुए कहा, “कुछ देश टेक्नोलॉजी और आर्थिक ताकत के दम पर दुनिया में दादागिरी कर रहे हैं। लेकिन भारत की संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की है। हमने कभी यह नहीं कहा कि पहले खुद का कल्याण करो, फिर दुनिया का। हमारा लक्ष्य सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय है।”

स्थानीय स्तर पर वैज्ञानिक समाधान की वकालत

गडकरी ने यह भी कहा कि देश के हर जिले, राज्य और क्षेत्र की अपनी समस्याएं हैं। कचरा प्रबंधन, जल संरक्षण, ऊर्जा उत्पादन जैसे क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर तकनीकी समाधान अपनाकर विकास की गति को तीन गुना तक बढ़ाया जा सकता है। “हमारे वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थान अगर इस दिशा में गंभीरता से काम करें, तो भारत को आर्थिक महाशक्ति बनने से कोई रोक नहीं सकता।” गडकरी का यह भाषण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की रणनीति पर केंद्रित था। वैश्विक दबावों और चुनौतियों के बीच उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट किया कि भारत को तकनीक, ज्ञान और नीति के दम पर अपनी जगह मजबूत करनी होगी – और यही असली राष्ट्रभक्ति होगी।

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