Gambhira Bridge Collapse: गुजरात के महिसागर जिले में सोमवार को एक दर्दनाक हादसा हो गया. महिसागर नदी पर बना पुराना पुल अचानक ढह गया। इस हादसे में 5 वाहन नदी में गिर गए, जिनमें से दो ट्रक पूरी तरह से पानी में समा गए और एक टैंकर आधा लटका रह गया। अब तक इस दुर्घटना में 9 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कुछ लोगों को समय रहते बचा लिया गया।
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1985 में खोला गया था पुल, हालत हो चुकी थी जर्जर
मिली जानकारी के अनुसार, यह पुल 1981 में बनकर तैयार हुआ था और 1985 में जनता के लिए खोला गया था। वर्षों से इस पुल की मरम्मत नहीं हुई और इसकी हालत बेहद खराब हो गई थी। इसके बावजूद पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही लगातार जारी रही। स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
स्थानीय विधायक ने पहले ही जताई थी चिंता
इलाके के विधायक चैतन्य सिंह झाला ने पहले ही इस पुल की हालत को लेकर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने सरकार से पुल की जांच और नए पुल के निर्माण की मांग की थी। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई और यह हादसा हो गया। अब जाकर सरकार ने 212 करोड़ रुपये की लागत से नए पुल के निर्माण की मंजूरी दी है और सर्वे भी पूरा हो चुका है।
मुख्यमंत्री ने जांच के दिए आदेश
आपको बता दे कि, सीएम भूपेंद्र पटेल ने पुल गिरने के बाद प्रतिक्रिया दी और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को घटनास्थल पर भेजेने के आदेश दिए है. उन्होंने हादसे की गंभीरता को देखते हुए जांच कराने की बात कही है ताकि हादसे के पीछे की असल वजह सामने लाई जा सके और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जा सके।
सड़क और भवन विभाग का बयान
राज्य के सड़क एवं भवन विभाग के सचिव पीआर पटेलिया ने कहा कि “हमें गंभीरा पुल के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। विशेषज्ञों की एक टीम को घटनास्थल पर भेजा गया है, जो तकनीकी जांच कर रही है।” उन्होंने आश्वासन दिया कि रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बचाव कार्य में जुटी टीम, शव निकाले जा रहे
हादसे के तुरंत बाद प्रशासन और बचाव दल सक्रिय हो गए। गोताखोरों की मदद से नदी में गिरे वाहनों को निकालने का कार्य शुरू कर दिया गया है। कई शव पानी से बाहर निकाले जा चुके हैं और राहत कार्य तेजी से जारी है।
पुरानी अधोसंरचना पर उठे सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर से देश में पुरानी और जर्जर हो चुकी अधोसंरचनाओं की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि समय रहते पुल की मरम्मत की जाती या आवाजाही पर रोक लगाई जाती, तो शायद इस त्रासदी से बचा जा सकता था। अब सभी की नजरें जांच रिपोर्ट और सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
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