Ganesh Chaturthi 2024: भारत में मनाया जाएगा गणपति बप्पा का महापर्व, घर में ऐसे करे बप्पा का स्वागत

Akanksha Dikshit
Ganesh Chaturthi 2024

Ganesh Chaturthi 2024: आज, गणेश चतुर्थी का महापर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में गणेश चतुर्थी का अत्यधिक महत्व है, जो हर महीने संकष्टी चतुर्थी के रूप में आता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश का अवतरण हुआ था। इस तिथि को गणेश उत्सव की धूम हर वर्ष देखने को मिलती है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा और स्थापना विशेष महत्व रखती है, जिससे घरों में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

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मध्याह्न काल में है गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा और स्थापना के लिए मध्याह्न काल को सबसे शुभ माना गया है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 01 मिनट से आरंभ होगी और 7 सितंबर की शाम 5 बजकर 37 मिनट तक चलेगी। इस दौरान गणेश मूर्ति की स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 4 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। विशेष रूप से अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा, जो गणेश स्थापना के लिए अनुकूल समय माना जाता है।

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गणेश चतुर्थी व्रत कथा: बप्पा की महत्वता का एहसास

गणेश चतुर्थी के दिन व्रत और पूजा के साथ-साथ गणेश जी की कथा सुनना भी महत्वपूर्ण है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह में सभी देवी-देवताओं, गंधर्वों और ऋषियों-मुनियों को निमंत्रण भेजा गया था। लेकिन भगवान गणेश को आमंत्रण नहीं मिला। जब इस पर सवाल उठे, तो भगवान विष्णु ने कहा कि गणेश जी का भोजन बहुत अधिक होता है, इसलिए उन्हें न्यौता देना मुश्किल था। इसके अलावा, गणेश जी को बारात की सुरक्षा का काम सौंपा गया, ताकि वे भोजन के कारण किसी को परेशानी न दें। नारद मुनि ने गणेश जी को बारात के रास्ते में मदद करने की सलाह दी, जिससे गणेश जी की महत्वता का एहसास हुआ। गणेश जी ने बारात के रास्ते को सही किया, जिससे विवाह निर्विघ्न सम्पन्न हुआ।

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गणेश स्थापना की विधि: घर में ऐसे करे बप्पा का स्वागत

गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश जी की मूर्ति की स्थापना विधिपूर्वक करनी चाहिए। सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। फिर, जिस स्थान पर गणेश मूर्ति स्थापित करनी है, वहां साफ-सफाई करें और गणेश स्थापना का संकल्प लें। मूर्ति की आंखों पर बंधी पट्टी को हटाकर षोडशोपचार विधि से पूजा आरंभ करें। गणेश जी के मंत्रों का जाप करें और उन्हें धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें। गणेश जी को मोदक, दुर्वा, केले और मोतीचूर के लड्डू चढ़ाएं, जो उन्हें बहुत प्रिय होते हैं।

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गणेश मंत्र: बप्पा की आराधना का संजीवनी

गणेश चतुर्थी पर गणेश जी के मंत्रों का जाप विशेष महत्व रखता है। इन मंत्रों से बप्पा की आराधना करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। गणेश मंत्र निम्नलिखित हैं:

  1. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
    निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
  2. एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्।
    विघ्नशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥
  3. गजराजमुखाय ते नमो मृगराजोत्तमवाहनाय ते।
    द्विजराजकलाभृते नमो गणराजाय सदा नमोऽस्तु ते॥
  4. गजाननाय पूर्णाय साङ्ख्यरूपमयाय ते।
    विदेहेन च सर्वत्र संस्थिताय नमो नमः॥
  5. अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते।
    मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः॥

गणेश चतुर्थी की यह विशेष पूजा और उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की समृद्धि को भी दर्शाता है। गणेश चतुर्थी के इस पर्व पर सभी को बप्पा की कृपा प्राप्त हो और उनके आशीर्वाद से जीवन में खुशहाली और समृद्धि बनी रहे।

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