Gaurav Gogoi: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में डिप्टी लीडर ऑफ अपोजिशन गौरव गोगोई ने रविवार को चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विपक्ष संसद में मतदाता सूची में हुए संशोधनों और चुनाव प्रक्रिया पर खुली बहस चाहता है, लेकिन केंद्र सरकार इससे बच रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर चर्चा टाल रही है ताकि बीते चुनावों में हुई कथित गड़बड़ियों को दबाया जा सके।
गौरव गोगोई का हमला
असम में कांग्रेस की विस्तारित कार्यकारिणी बैठक से पहले पत्रकारों से बातचीत में गोगोई ने कहा कि चुनाव आयोग को लेकर जनता के बीच गंभीर संदेह हैं। उन्होंने पूछा कि अगर चुनाव आयोग पूरी तरह स्वतंत्र है, तो सरकार उस पर चर्चा से क्यों भाग रही है? उन्होंने यह भी कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है, ऐसे में चुनाव आयोग की जवाबदेही सरकार से जुड़ती है।
गृहमंत्री पर हमला
गौरव गोगोई ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का हवाला देते हुए गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों के प्रति शाह ने न तो संवेदना जताई और न ही खुफिया तंत्र की विफलता की जिम्मेदारी ली, जबकि गृह मंत्रालय सीधे तौर पर इन मामलों के लिए जिम्मेदार होता है।
असम विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस
बैठक के दौरान असम कांग्रेस ने आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति पर चर्चा की। राज्य की 126 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव अगले साल मार्च-अप्रैल में होने की संभावना है। पार्टी नेताओं ने संगठन को मजबूत करने, उम्मीदवार चयन और क्षेत्रीय गठजोड़ पर फोकस करने की बात कही।
कसभा चुनाव में हुई धांधली
इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी चुनाव आयोग को लेकर कड़ा बयान दिया। उन्होंने दिल्ली में आयोजित एनुअल लीगल कॉन्क्लेव 2025 में कहा, “भारत का इलेक्शन सिस्टम मर चुका है। हम आने वाले दिनों में साबित करेंगे कि लोकसभा चुनाव में किस तरह से धांधली हुई।” राहुल ने यह भी कहा कि अगर 10-15 सीटों पर धांधली न होती, तो वर्तमान प्रधानमंत्री पद पर नहीं होते।
राजनाथ सिंह का पलटवार
राहुल गांधी के बयान पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “अगर आपके पास सबूत हैं और आप कहते हैं कि आपके पास चुनाव में धांधली का ‘परमाणु बम’ है, तो उसे चला दीजिए। लेकिन इतना ध्यान रखिए कि आप खुद सुरक्षित रहें।” राजनाथ का यह बयान राहुल की चुनौती को लेकर तीखे राजनीतिक टकराव को दर्शाता है।
देश की चुनावी प्रणाली और चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच तकरार लगातार तेज होती जा रही है। कांग्रेस खुली चर्चा की मांग कर रही है, जबकि सरकार फिलहाल चुप्पी साधे हुए है। आने वाले समय में यह मुद्दा संसद से लेकर सड़क तक गर्मा सकता है।