Peru Gen-Z Protest : दक्षिण अमेरिका का देश पेरू एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक अशांति की आग में जल रहा है। राजधानी लीमा की सड़कों पर Gen-Z युवा आंदोलन ने तूल पकड़ लिया है। सरकार के खिलाफ नारेबाजी, संसद की ओर कूच और पुलिस से झड़प के बाद हालात बेकाबू हो गए। पुलिस को स्थिति संभालने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े और कई प्रदर्शनकारी व पुलिसकर्मी घायल हो गए।
प्रदर्शन की जड़ में क्या है?
Gen-Z युवा बढ़ते भ्रष्टाचार, अपराध, और हाल ही में लागू किए गए नए पेंशन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस कानून के तहत युवाओं के लिए प्राइवेट पेंशन फंड में शामिल होना अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि देश में बेरोजगारी चरम पर है। ऐसे में इस फैसले ने आग में घी डालने का काम किया है।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी झड़प
रविवार को राजधानी लीमा में लगभग 500 से अधिक प्रदर्शनकारी जमा हुए। ये लोग संसद भवन की ओर मार्च कर रहे थे जब पुलिस ने उन्हें रोका। इसके बाद हालात बेकाबू हो गए – प्रदर्शनकारियों ने पत्थर और लाठियों से हमला किया, जबकि पुलिस ने जवाब में आंसू गैस और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया। कई लोग घायल हुए हैं, जिनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। एक 54 वर्षीय प्रदर्शनकारी ने कहा, “अब पेरू में डर का माहौल है। यह देश अब लोकतांत्रिक नहीं लगता। हम रोज़ जबरन वसूली और अपराध झेल रहे हैं।” उनका आरोप है कि कांग्रेस और सरकार में बैठे नेता जनहित के खिलाफ काम कर रहे हैं, और अब देश की जनता का विश्वास पूरी तरह डगमगा गया है।
राष्ट्रपति दीना बोलुआर्टे पर दबाव
राष्ट्रपति दीना बोलुआर्टे का कार्यकाल 2026 में समाप्त होने वाला है, लेकिन उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। हाल ही में आए जनमत सर्वेक्षणों में बताया गया कि देश की अधिकतर जनता कांग्रेस और सरकार को भ्रष्ट मानती है। इन नीतियों के चलते पेरू में सामाजिक असंतोष तेजी से बढ़ा है।
अंतरराष्ट्रीय नजरें पेरू पर
बांग्लादेश और नेपाल के बाद अब पेरू भी Gen-Z आंदोलन का नया केंद्र बन चुका है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर सरकार ने तुरंत समाधान नहीं निकाला, तो यह आंदोलन दीर्घकालिक राजनीतिक संकट में बदल सकता है।पेरू में सरकार विरोधी जन आंदोलन ने नया रूप ले लिया है, जिसमें Gen-Z का आक्रोश साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ यह लड़ाई अब सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन की मांग बन चुकी है।

