Bihar Election 2025: बिहार चुनाव से पहले एक बार फिर केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से भाजपा सांसद गिरिराज सिंह अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। अरवल जिले में शनिवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय पर सीधा निशाना साधते हुए कहा “मुझे नमक हरामों के वोट नहीं चाहिए।”उनके इस बयान ने सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है और विपक्षी दलों ने भाजपा पर साम्प्रदायिक राजनीति का आरोप लगाया है।
गिरिराज सिंह का पूरा बयान
गिरिराज सिंह ने अपने भाषण के दौरान एक वाकया साझा करते हुए कहा कि उन्होंने एक मौलवी से पूछा कि क्या उसके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड है, और जब मौलवी ने ‘हां’ में जवाब दिया, तो उन्होंने पूछा कि क्या यह कार्ड हिंदू-मुस्लिम देखकर दिया गया था। मौलवी ने इस पर भी ‘नहीं’ कहा।इसके बाद गिरिराज सिंह ने पूछा कि क्या उसने उन्हें वोट दिया, मौलवी ने पहले ‘हां’ कहा लेकिन जब ‘खुदा की कसम’ खाने को कहा गया तो वह मुकर गया। इसी आधार पर गिरिराज सिंह ने कहा “जो एहसान नहीं मानते, उन्हें नमक हराम कहा जाता है।”उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाजपा की योजनाओं का लाभ हर वर्ग को मिलता है, लेकिन मुस्लिम समुदाय भाजपा को वोट नहीं देता।
विपक्ष का पलटवार
गिरिराज सिंह के इस बयान पर आरजेडी समेत कई विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा “भाजपा नेताओं को हिंदू-मुस्लिम के अलावा कुछ नहीं सूझता। जब बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों की बात होती है, तो ये लोग मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सांप्रदायिक बातें करने लगते हैं।”
चुनाव से पहले साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश?
बिहार में 243 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। ऐसे में गिरिराज सिंह का यह बयान राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा पहले भी चुनावों से पहले इस तरह के बयानों के जरिए मतदाताओं को भावनात्मक रूप से प्रभावित करने की कोशिश करती रही है।
NDA का विकास बनाम वोट बैंक
अपने भाषण में गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि एनडीए सरकार ने बिहार में सड़कों और बुनियादी ढांचे के विकास में काफी काम किया है।”सड़कें सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए नहीं, जनता के लिए बनी हैं… लेकिन मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते”।गिरिराज सिंह का यह बयान जहां एक ओर भाजपा के कट्टर समर्थकों को रिझाने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष के लिए भाजपा को घेरने का मौका भी बन गया है। चुनावी मौसम में इस तरह की बयानबाजी से न सिर्फ सामाजिक माहौल खराब होता है, बल्कि असल मुद्दों से भी जनता का ध्यान भटकता है।
