Gujarat suicide case: बिहार के बाद अब गुजरात में आर्थिक तंगी ने पुरा परिवार आत्महत्या के लिए मजबूर किया। गुजरात के अहमदाबाद जिले के बागोदोरा गांव में रविवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहाँ एक ही परिवार के पांच सदस्यों के शव उनके घर के अंदर पाए गए। मृतकों में पति-पत्नी और उनके तीन मासूम बच्चे शामिल हैं। घटना के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है। पुलिस को संदेह है कि परिवार ने आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाया।
रिक्शा चालक था परिवार का मुखिया
पुलिस सुत्रों के अनुसार मृतक व्यक्ति रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन – पोषण कर रहा था। पत्नि और तीन छोटे बच्चों के साथ वह किराए के मकान में रहता था। बताया जा रहा है कि परिवार लंबे समय से गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था । काम और आमदानी की कमी ने मानसिक और आर्थिक रुप से पुरी तरह तोड़ा दिया था।
शनिवार से बंद था घर
स्थानीय निवासियों ने बताया कि शनिवार सबुह से उस घर से कोई आवाज या गतिविधि नजर नहीं आ रही थी। कई बार दरवाजा खटखटा ने पर भी जब कोई उत्तर नहीं मिला तो पड़ोसियों को अनहोनी की आशंका हुई । उन्होंने तुरंत पुलिस को सुचना दी । रविवार सुबह पुलिस मौके पर पहुंची और दरवाज़ा तोड़कर अंदर दाखिल हुई।
जहर खाने की आशंका
घर के अंदर पांचों सदस्यों के शव मिलने के बाद पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सभी ने ज़हर खाकर आत्महत्या की होगी। हालांकि पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारण की पुष्टि हो सकेगी। फिलहाल सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।
पुलिस ने कही आर्थिक तंगी की बात
एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा, “यह परिवार बागोदोरा गाँव में एक किराए के मकान में रहता था। शनिवार से ही उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया था। जब हमें सूचना मिली, तो हमने मौके पर पहुँचकर दरवाज़ा तोड़ा और शव बरामद किए। अभी तक की जाँच से यह प्रतीत होता है कि यह आत्महत्या का मामला है, जिसमें आर्थिक तंगी एक बड़ा कारण हो सकता है।”
समाज और सरकार के लिए चेतावनी
इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि कैसे गरीबी और आर्थिक तनाव आम लोगों को जीवन समाप्त करने की ओर धकेल रहे हैं। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से माँग की है कि ऐसे जरूरतमंद परिवारों की पहचान कर उन्हें समय पर सहायता दी जाए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियाँ टाली जा सकें। यह घटना केवल एक खबर नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी है।अहमदाबाद की यह घटना न सिर्फ एक दुखद पारिवारिक हादसा है, बल्कि समाज की उस हकीकत को भी उजागर करती है, जहाँ आर्थिक तंगी इंसानों को जीने नहीं देती। सरकार और समाज दोनों को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।
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