Gurmeet Ram Rahim Singh: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख और साध्वी यौन शोषण व पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर पैरोल मिल गई है। मंगलवार सुबह वह 40 दिन की पैरोल पर सुनारिया जेल, रोहतक से पुलिस सुरक्षा में सिरसा डेरा रवाना हुआ। इस साल 2025 में यह तीसरा मौका है जब राम रहीम को जेल से बाहर आने की इजाजत दी गई है। इससे पहले अप्रैल और फरवरी में उसे 21-21 दिन की फरलो दी गई थी।
पैरोल लेने पहुंचे करीबी, जन्मदिन और रक्षाबंधन मनाएगा बाबा
जानकारी के अनुसार, मंगलवार सुबह लगभग सात बजे गुरमीत राम रहीम को लेने के लिए उसकी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत, डेरा सच्चा सौदा के चेयरमैन दान सिंह, डॉ. आरके नैन और शरणदीप सिंह ‘सिटू’ रोहतक पहुंचे। इसके बाद सभी पुलिस सुरक्षा के बीच बाबा को लेकर सिरसा डेरा के लिए रवाना हुए। 15 अगस्त को राम रहीम का जन्मदिन है और इस बार भी वह जेल से बाहर ही अपना जन्मदिन और रक्षाबंधन मनाएगा।
सरकार का दावा- ‘जेल मैनुअल’ के अनुसार दी गई छुट्टी
राम रहीम को बार-बार मिलने वाली पैरोल और फरलो को लेकर प्रशासनिक फैसलों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। हालांकि सरकार का तर्क है कि यह छुट्टियां जेल नियमावली के तहत दी जा रही हैं। लेकिन 2017 से अब तक 14 बार राम रहीम को पैरोल या फरलो मिल चुकी है, जिससे सरकार की मंशा पर विपक्ष और आम जनता सवाल उठा रहे हैं।
2017 से जेल में बंद है राम रहीम
गौरतलब है कि राम रहीम को अगस्त 2017 में दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था। इसके बाद 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या मामले में भी उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। तब से वह रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। लेकिन इन आठ वर्षों में उसे 14 बार पैरोल और फरलो मिल चुकी है, जो आम कैदियों के मुकाबले बहुत अधिक मानी जा रही है।
बागपत के बजाय इस बार सीधे सिरसा डेरा पहुंचा बाबा
इस बार गुरमीत राम रहीम सीधे सिरसा डेरा गया है, जबकि पहले वह बागपत में समय बिताया करता था। पिछली बार अप्रैल 2025 में उसे 21 दिन की फरलो मिली थी, तब भी उसने डेरे में ही धार्मिक गतिविधियां की थीं और कई वीडियो संदेश जारी किए थे।
गुरमीत राम रहीम को बार-बार मिलने वाली पैरोल और फरलो ने न सिर्फ जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इससे कानून की निष्पक्षता को लेकर भी आमजन के बीच चर्चा तेज हो गई है। विपक्षी दल और सामाजिक कार्यकर्ता इस पूरे घटनाक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।