Guru Purnima 2025: सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया है, जो कि हर माह में एक बार पड़ती है। पंचांग के अनुसार अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है जो कि इस बार 10 जुलाई दिन गुरुवार यानी आज मनाई जा रही है। इसे व्यास पूर्णिमा और व्यास जयंती भी कहा जाता है। इस दिन माता पिता, बड़ों और गुरु का आशीर्वाद लेने का विशेष महत्व होता है।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन बृहस्पति बीज मंत्र ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः‘ का 108 बार जाप करते हैं तो मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। इस दिन दान पुण्य के कार्य करना भी उत्तम माना जाता है, तो हम आपको अपने इस लेख द्वारा गुरु पूर्णिमा की सरल पूजा विधि बता रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा?

गुरु पूर्णिमा के दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर ऐसा करना संभव नहीं है तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से भी गंगा स्नान जैसा लाभ मिलता है। इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें उनका जलाभिषेक भी करें।
इसके बाद भगवान विष्णु को पीले पुष्प और हल्दी अर्पित करें साथ ही माता लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के पुष्प और श्रृंगार का सामना अर्पित करें। फिर पूजा घर में घी का दीपक जलाकर गुरु पूर्णिमा की व्रत कथा का पाठ करें। अगर संभव हो तो व्रत का संकल्प भी करें और शाम के वक्त सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ें।
फिर शाम के समय लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें इसके बाद लक्ष्मी नारायण की आरती करें अंत में भगवान को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें और सभी में प्रसाद का वितरण करें। रात को चंद्रमा के दर्शन कर जल अर्पित करें और पूजा करें।

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां पौराणिक कथाओं,धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। खबर में दी जानकारी पर विश्वास व्यक्ति की अपनी सूझ-बूझ और विवेक पर निर्भर करता है। प्राइम टीवी इंडिया इस पर दावा नहीं करता है ना ही किसी बात पर सत्यता का प्रमाण देता है।
